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सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं

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रिपोर्ट – परवेज आलम 

प्रयागराज। डॉ. सत्यवान कुमार नाइक पुत्र इन्द्रेश नाइक निवासी ग्राम नेवरा तहसील बांसगांव जिला गोरखपुर जिसकी जाति ब्राह्मण सर नेम नाइक है। डा. सत्यवान कुमार नाइक फर्जी तरीके से सन 2008 में अनुसूचित जनजाति का जाति प्रमाण पत्र बनवा तो लिया किन्तु 2014 में तत्कालीन जिलाधिकारी गोरखपुर की अध्यक्षता में उक्त फर्जी जाति प्रमाण पत्र रद्द कर दिया गया। सन 2017 में इलाहाबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय इलाहाबाद का संघटक महाविद्यालय सीएमपी डिग्री कॉलेज के विधि संकाय में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती का विज्ञापन जारी हुआ। इस विज्ञापन में एक पद अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित था। उक्त एक पद जो अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित था उस पद पर डा. सत्यवान कुमार नाइक फर्जी और 2014 में जिलाधिकारी गोरखपुर द्वारा रद्द जाति प्रमाण पत्र लगाकर अन्ततः विधि संकाय का असिस्टेंट प्रोफेसर बन जाता है। डा.सत्यवान चेहरे से गोरा चिट्ठा, हाव भाव, बात चीत में कही से भी अनुसूचित जनजाति का नहीं लगता था। दूसरे वर्ष 2018-19 के दौरान डा. सत्यवान की बहन की शादी पड़ी तो ज्यादातर सवर्ण और ब्राह्मण स्टाफ को शादी का निमंत्रण दिया तो पता चला कि बहन की शादी किसी तिवारी और शुक्ला के यहां हो रही है। पूर्वांचल दलित अधिकार मंच (पदम) संस्थापक आईपी रामबृज ने प्रकरण को गंभीरता से लिया और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग तक पत्र व्यवहार किया। सीएमपी कालेज प्रशासन ने जांच कमेटी बैठाई तत्पश्चात डा. सत्यवान कुमार नाइक से काम लेना और वेतन देना बन्द कर दिया। काम और वेतन पाने के लिए डा. सत्यवान ने माननीय हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की। याचिका में तारीख पर तारीख लगती रही किन्तु सुनवाई नहीं हो रही थी। एक ओर जहां असिस्टेंट प्रोफेसर के विज्ञापन जारी होने के आठ साल बाद का फर्जी जाति प्रमाण पत्र लगाया था वहीं काम और वेतन रोके जाने के पांच साल बाद तहसील बांसगांव से पुनः तहसीलदार, लेखपाल से सांठ गांठ करके डिजिटल जाति प्रमाण पत्र बनवा लिया। जबकि अभी तेरह जिलों में अनुसूचित जनजाति का जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा रहा है। डिजिटल जाति प्रमाण पत्र लेकर डा सत्यवान माननीय हाईकोर्ट में एक दूसरी याचिका दाखिल कर दिया। इस याचिका की सुनवाई अभी 03 जुलाई को थी। माननीय हाईकोर्ट ने बहस सुनी और बिना आदेश जारी किए 03 जनवरी 2025 को तारीख लगा कर यह कहा कि किसी ऑथराइज्ड कमेटी द्वारा प्रमाणित करा कर लाइए कि आपका जाति प्रमाण पत्र सही है। अभी 03 जनवरी 2025 आने में पांच महीना है उधर सीएमपी की प्रबंधन कमेटी बिना कोर्ट के आदेश के डा सत्यवान कुमार नाइक की फर्जी नियुक्ति बहाल कर दी।
डा. सत्यवान कुमार नाइक की नियुक्ति की भनक लगते ही पदम संस्थापक आईपी रामबृज शुक्रवार को दिल्ली स्थित राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष अंतर कुमार आर्या की अनुपस्थिति में आयोग के सदस्य डा. आशा लकड़ा और दूसरे सदस्य निरुपम चकमा से मिलकर डा. सत्यवान कुमार नाइक के प्रकरण को विस्तार से रखा। वैसे डा. आशा लकड़ा के पास उत्तर प्रदेश का प्रभार है। डा. लकड़ा ने उतर प्रदेश के जिले प्रयागराज, गोरखपुर और लखनऊ में कैंप लगाकर शिक्षा, सेवा, जमीन और अत्याचार के मामले अभियुक्त को सूचित कर सुनवाई करेंगी और किसी भी प्रकरण में दोषी को और दोषी को सहयोग प्रदान करने वाले सभी के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी। डा. लकड़ा ने तो यहां तक कहा कि बांस गांव तहसील के हलका लेखपाल को इतना भी मालूम नहीं कि ब्राह्मण नाईको को नहीं बल्कि गोंड समाज की चार उपजातियो नायक, ओझा, पठारी, धुरिया को जो पहले ओबीसी थी अब तेरह जिलों में इन्हें जनजाति और अन्य जिलों में इन्हें अनुसूचित जाति की श्रेणी में रखा गया है। क्या सत्यवान नाइक जो सत्यवान कुमार नायक के सर नेम से अनुसूचित जनजाति का जाति प्रमाण पत्र बनवा लिया है और उसका जाति प्रमाण पत्र 2014 में तत्कालीन जिलाधिकारी गोरखपुर की अध्यक्षता में बनी समिति द्वारा रद्द किया जा चुका है वो सत्यवान कुमार नाइक 2008 से पहले पिछड़ी जाति की श्रेणी का गोंड है? यदि नहीं तो तत्कालीन और लेखपाल तहसीलदार सब दोषी होंगे और सेवानिवृत्त के बाद भी उनके खिलाफ कार्यवाही होगी और डा. सत्यवान कुमार नाइक के मामले में सत्यवान के साथ साथ प्राचार्य, प्रबंधक और कुलपति के विरुद्ध भी कार्यवाही होगी। एक कहावत है कि गेहूं के साथ घुन भी पिसता है उसी प्रकार अभियुक के साथ अभियुक्त को किसी प्रकार की मदद करने वाले सब के विरुद्ध क़ानूनी कार्यवाही होगी।

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