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बच्चों में तेजी से बढ़ रही लिवर की बीमारियां

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नई दिल्ली: पिछले कुछ वर्षों में बच्चों में लिवर संबंधी बीमारियों में चिंताजनक वृद्धि देखी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे बदलती जीवनशैली, असंतुलित आहार और शारीरिक गतिविधियों की कमी जैसी प्रमुख वजहें हैं। जहां पहले लिवर की बीमारियां वयस्कों में आम मानी जाती थीं, वहीं अब ये समस्याएं बच्चों में भी गंभीर रूप ले रही हैं।

मैक्स हॉस्पिटल, दिल्ली के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रभात भूषण ने बताया कि आजकल बच्चों में लिवर डिजीज का एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है। उन्होंने कहा, “पहले बच्चों में लिवर के इंफेक्शन ज्यादा पाए जाते थे, जैसे हेपेटाइटिस ए और सिरोसिस, लेकिन अब इंफेक्शन के मामले घटे हैं और लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियां जैसे कि नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) और मेटाबॉलिक डिसऑर्डर बढ़ रहे हैं।”

बच्चों में लिवर रोगों के लक्षण

लिवर खराबी के लक्षण बच्चों में स्पष्ट हो सकते हैं, लेकिन उन्हें अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। डॉ. भूषण ने बताया कि अगर निम्न लक्षण दिखें, तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए:

  • त्वचा और आंखों का पीला पड़ना (पीलिया)

  • पेट में लगातार दर्द या सूजन

  • अत्यधिक थकान

  • भूख की कमी

  • उल्टी या मतली

  • गहरे रंग का पेशाब और हल्के रंग का मल

फैटी लिवर बन रहा आम समस्या

डॉ. भूषण ने चेताया कि बच्चों में मोटापा, घंटों स्क्रीन के सामने बैठना, जंक फूड का अत्यधिक सेवन और शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण फैटी लिवर की समस्या तेजी से फैल रही है। यह लिवर में वसा जमा होने की स्थिति होती है, जो समय रहते इलाज न हो तो गंभीर रूप ले सकती है। उन्होंने कहा कि “नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज आजकल बच्चों में सामान्य होती जा रही है, जो पहले व्यस्कों में पाई जाती थी।”

जेनेटिक बीमारियां भी एक कारण

इसके अतिरिक्त, विल्सन डिजीज जैसी जेनेटिक बीमारियां भी बच्चों में लिवर फेलियर का कारण बन सकती हैं। इस बीमारी में शरीर में कॉपर जमा होने लगता है जो लिवर को नुकसान पहुंचाता है।

कैसे करें बचाव?

डॉ. भूषण ने सलाह दी कि बच्चों को समय पर हेपेटाइटिस ए और बी की वैक्सीन दिलवानी चाहिए। साथ ही नवजात शिशुओं की मेटाबॉलिक स्क्रीनिंग करवाकर कई लिवर संबंधी बीमारियों से पहले ही सतर्क हुआ जा सकता है।

बचाव के लिए माता-पिता को बच्चों की डाइट पर ध्यान देना चाहिए। हरी सब्जियों, फलों, साबुत अनाज और प्रोटीनयुक्त आहार को शामिल करें और जंक फूड, चीनी और अत्यधिक फैट से बच्चों को दूर रखें।

बच्चों में लिवर की बीमारियां अब केवल संक्रमण तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि यह एक व्यापक स्वास्थ्य संकट बनता जा रहा है। समय रहते सही पहचान, नियमित जांच और हेल्दी लाइफस्टाइल से बच्चों को इन बीमारियों से बचाया जा सकता है।

(डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य जानकारी पर आधारित है। किसी भी तरह का इलाज शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।)

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