Breaking News

“मां की गोद, जहां सारा संसार सिमट जाता है”

Spread the love

जब कोई बच्चा जन्म लेता है, तो उसकी पहली पहचान होती है—’मां’। आंखें खुलते ही जिस चेहरे को सबसे पहले देखता है, वो मां होती है। आवाज़ें समझ से बाहर होती हैं, पर एक आवाज़ दिल को सुकून देती है—वो मां की होती है। एक नवजात के लिए पूरी दुनिया उसकी मां की गोद होती है। और शायद पूरी उम्र बीत जाने पर भी वो गोद सबसे सुकूनभरी जगह बनी रहती है।

मां सिर्फ एक रिश्ता नहीं है, ये एक एहसास है, जो हर सांस में समाया रहता है। वो इंसान नहीं, एक पूरा एहसास है—जिसके बिना ज़िंदगी की कल्पना अधूरी सी लगती है। मां वह है जो खुद टूटकर भी हमें संभालती है। वो हर दर्द चुपचाप सहकर भी हमारे चेहरे पर मुस्कान देखना चाहती है।

मां की ममता: बिना शर्त, बिना अपेक्षा

मां का प्यार बिना शर्त होता है। न वो कुछ मांगती है, न किसी चीज़ की उम्मीद रखती है। उसकी ममता इस संसार की सबसे निर्मल, सबसे पवित्र भावना है। दुनिया के हर रिश्ते में कहीं न कहीं लेन-देन छुपा होता है, पर मां का रिश्ता सिर्फ देना जानता है। वो हमेशा चाहती है कि उसका बच्चा खुश रहे—फिर चाहे उसके लिए उसे खुद की खुशी छोड़नी क्यों न पड़े।

जब बच्चा भूखा होता है, मां खुद भूखी रहकर भी उसे खिलाती है। जब बच्चा बीमार होता है, तो मां की रातों की नींद उड़ जाती है। जब बच्चा गिरता है, तो मां का दिल कांप उठता है। जब बच्चा एक शब्द भी बोलता है, तो मां के चेहरे पर गर्व की रेखाएं उभर आती हैं।

बचपन की वो मीठी यादें

बचपन की यादों में मां का एक अलग ही स्थान होता है। स्कूल का पहला दिन हो या पहली बार बाहर जाना, हर मोड़ पर मां का साथ होता है। वो टिफिन में हमारा पसंदीदा खाना रखती है, रात को हमारी पसंद की कहानी सुनाती है, और जब डर लगे तो अपनी गोद में सुला लेती है।

हमेशा एक दुपट्टा उसके कंधे पर होता था, जो कभी आंसू पोछता, तो कभी नाक। जब हम खेल में गिर जाते, तो वो घुटनों पर फूंक मारकर दर्द छीन लेती थी। मां की वो लोरी, जो रात को नींद की आगोश में ले जाती थी, आज भी दिल को सुकून देती है।

मां की नज़रें: एक मौन पहरेदार

मां की नज़रें सब जानती हैं। हम कुछ कहें या न कहें, मां को सब पता चल जाता है। वो हमारी आंखों से ही पढ़ लेती है कि कुछ ठीक नहीं है। अगर हम तकलीफ में हैं, तो सबसे पहले मां का दिल बेचैन होता है।

कभी-कभी हम सोचते हैं कि हमने कुछ छिपा लिया, पर मां के लिए छिपाना नामुमकिन होता है। उसकी नज़रें एक मौन पहरेदार की तरह हमें बचाती हैं, हमें समझती हैं। वो बिना बोले ही हमारे भीतर की हर हलचल को महसूस कर लेती है।

कठिनाइयों में मां का साहस

मां की ममता जितनी कोमल होती है, उसका हौसला उतना ही मजबूत। वो किसी चट्टान की तरह हमारे सामने खड़ी होती है, जब पूरी दुनिया हमारे खिलाफ हो। जब ज़िंदगी के थपेड़े हमें तोड़ने की कोशिश करते हैं, तब मां अपने आँचल की छांव में हमें फिर से जोड़ देती है।

वो खुद कितनी ही तकलीफें सहती है, पर अपने बच्चों को कभी महसूस नहीं होने देती। मां के दिल में दुनिया का सबसे गहरा समंदर छिपा होता है—जिसमें त्याग, समर्पण, प्रेम और सहनशीलता की लहरें उठती हैं।

मां और उसके सपने

बहुत बार मां अपने सपनों को छोड़ देती है, सिर्फ इसलिए कि उसके बच्चों के सपने पूरे हो सकें। उसने भी कभी कुछ बनने का सोचा होगा, पर जिम्मेदारियों की दुनिया में उसने खुद को कहीं पीछे छोड़ दिया।

वो हमारे लिए हर वो काम करती है, जिसे हम अनदेखा कर देते हैं। हमें नहीं पता कि रात को हमारे लिए कपड़े प्रेस करने वाली मां, दिनभर की थकान से जूझ रही थी। वो जो हर बार हमारे सामने मुस्कुराती है, उसके चेहरे की लकीरों में न जाने कितनी कहानियां छिपी होती हैं।

हमारी लापरवाही और मां का इंतज़ार

जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, मां के पास बैठने का वक्त कम होने लगता है। हम अपने दोस्तों, करियर, मोबाइल और दुनिया में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि भूल जाते हैं कि कोई घर में इंतज़ार कर रहा है।

मां बार-बार कॉल करती है, ये पूछने के लिए नहीं कि कहां हो, बल्कि ये जानने के लिए कि खाना खाया या नहीं। जब हम घर देर से आते हैं, तो वो दरवाज़े की ओर टकटकी लगाए बैठी रहती है, ये सोचते हुए कि बच्चा ठीक तो है?

कभी-कभी हम चिढ़ जाते हैं, कहते हैं—”मां, आप बहुत पूछती हो।” पर वो सवाल नहीं करती, उसकी चिंता बोलती है।

वक़्त की रफ़्तार और मां की झुर्रियाँ

समय के साथ हम बढ़ते जाते हैं, और मां के चेहरे पर झुर्रियां बढ़ती जाती हैं। वो जो कभी हमें गोद में उठाती थी, अब खुद सहारे की मोहताज हो जाती है। पर मां कभी शिकवा नहीं करती, वो तो बस मुस्कुराती है।

जब हम सफलता की ऊंचाइयों पर होते हैं, तो मां सबसे ज्यादा खुश होती है। पर क्या हम उतना ही समय निकाल पाते हैं उसके लिए? क्या हम उसकी आंखों में वो सुकून दे पाते हैं, जो उसने हमें बचपन में दिया?

मां के लिए हमारा फ़र्ज़

हमें समझना होगा कि मां सिर्फ एक रिश्ता नहीं, एक जिम्मेदारी है। जैसे उसने हमें बचपन में संभाला, वैसे ही हमें उसका बुढ़ापा थामना चाहिए। हमें वक्त निकालकर उसके साथ बैठना चाहिए, उसकी बातें सुननी चाहिए, उसके लिए कुछ करना चाहिए।

उसके हाथों की मेहनत का, उसके आँचल की छांव का, उसकी आंखों के स्नेह का कोई मूल्य नहीं। पर हम इतना तो कर सकते हैं कि उसे अकेला महसूस न होने दें।

आख़िरी लफ़्ज़

मां का प्यार शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। उसके लिए जितना लिखा जाए, कम है। वो हमारी पहली गुरु है, पहली दोस्त है, पहली देवी है। उसकी ममता, उसका त्याग, उसकी माफ़ी—सब कुछ अलौकिक है।

 

लेखक – राहुल मौर्या 

Leave a Reply

Your email address will not be published.