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काशीदास बाबा की चमत्कारी पूजा: खौलते दूध और गर्म घी में डुबकी लगाने के बाद भी कोई नहीं जलता!

आजमगढ़। विज्ञान और आध्यात्मिकता के बीच जब कोई ऐसा दृश्य सामने आता है, जो तार्किक सोच को चुनौती देता है, तो सवाल उठना स्वाभाविक है। क्या सच में खौलते हुए दूध से कोई स्नान कर सकता है और जलने से बच सकता है? क्या गर्म घी में हाथ डालने पर कोई इंसान बिना छाले के बाहर आ सकता है? क्या जलते हवनकुंड में झुकने के बावजूद कोई व्यक्ति सुरक्षित रह सकता है? जब इन बातों की सच्चाई परखने के लिए हम आजमगढ़ जिले के एक गाँव में पहुँचे, तो जो देखा वह विज्ञान और आस्था के बीच बहस का नया विषय बन गया।

काशीदास बाबा की अनोखी पूजा: विज्ञान या चमत्कार?

यह घटना उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले से करीब 25 किलोमीटर दूर एक गाँव में घटी, जहाँ एक अनोखी पूजा का आयोजन किया गया था। इस पूजा को युवा पुजारी बाबा विराट भगत ने संपन्न कराया, जिन्हें उनके भक्त काशीदास बाबा का अनुयायी मानते हैं। ग्रामीण भारत, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में, काशीदास बाबा को गाँव के रक्षक और संकटमोचक के रूप में पूजा जाता है।

इस विशेष अनुष्ठान में कुछ ऐसे दृश्य देखने को मिले, जो किसी के भी रोंगटे खड़े कर सकते थे। बाबा विराट भगत ने पहले अपने शरीर का ऊपरी हिस्सा जलते हवनकुंड में झोंक दिया। फिर उन्होंने खौलते दूध से स्वयं स्नान किया और बच्चों को भी उसमें नहलाया। लेकिन सबसे हैरान करने वाली बात यह थी कि किसी के शरीर पर जलने के कोई निशान नहीं थे!

पूजा की शुरुआत: उपले, मटकियाँ और देवी-देवताओं का आह्वान

पूजा शुरू होने से पहले बाबा विराट भगत ने विशेष पूजा-पाठ किया। इस दौरान—

  1. उपलों से जलते हवनकुंड तैयार किए गए।
  2. बड़े-बड़े मटकों में दूध डालकर उबाला गया।
  3. एक विशेष धुन बजाई गई और देवी-देवताओं का आह्वान किया गया।

जब यह प्रक्रिया चल रही थी, तभी बाबा विराट भगत ने एक चौंकाने वाला कार्य किया। उन्होंने अपने शरीर का ऊपरी हिस्सा जलते हवनकुंड में डाल दिया। यह देखकर भक्तों की भीड़ जयकारे लगाने लगी। फिर बाबा ने खौलते दूध से स्नान करना शुरू किया। लेकिन, आश्चर्य की बात यह थी कि न तो बाबा को कोई नुकसान हुआ और न ही उनके साथ खड़े बच्चों को, जिन्हें उन्होंने गर्म दूध से स्नान कराया था।

पत्रकार का संदेह: क्या दूध में कोई रसायन मिलाया गया था?

इस दृश्य को देखकर CIB India News के पत्रकार को संदेह हुआ कि हो सकता है कि दूध में कोई विशेष केमिकल मिलाया गया हो, जिससे वह दिखने में उबलता हुआ लगे, लेकिन असल में ठंडा हो। यह परखने के लिए बाबा ने पत्रकार से कहा कि वह स्वयं मटके में हाथ डालकर देखे।

जैसे ही पत्रकार ने उबलते दूध में हाथ डाला, उसे जलन महसूस हुई और उसने तुरंत हाथ खींच लिया। लेकिन जब बाबा विराट भगत ने उसी दूध को हाथ में लेकर पत्रकार के माथे पर लगाया, तो वह पूरी तरह ठंडा था! यह देखकर पत्रकार और उपस्थित भक्त अचंभित रह गए।

खौलते घी में हाथ डालने का प्रयोग

बाबा विराट भगत यही नहीं रुके। उन्होंने एक और चौंकाने वाला कार्य किया। उन्होंने खौलते हुए घी में पहले स्वयं हाथ डाला और फिर पत्रकार से भी यही करने को कहा।

पत्रकार ने पहले संकोच किया, लेकिन जब उसने घी में हाथ डाला, तो उसे जलन महसूस नहीं हुई। उसका हाथ न तो जला और न ही उसमें कोई छाला पड़ा। फिर बाबा ने उसी खौलते घी को निकालकर पत्रकार के माथे पर लगाया, जो अब पूरी तरह ठंडा हो चुका था।

दूध का चमत्कार: बाबा की पुकार पर दूध का उबाल बढ़ता और रुक जाता!

पूजा के दौरान एक और अजीब घटना घटी। बाबा विराट भगत ने लगभग खाली मटकी की ओर इशारा किया, जिसमें केवल नाम मात्र का दूध था। लेकिन जैसे ही उन्होंने देवी-देवताओं का आह्वान किया, मटकी का दूध अचानक उबाल मारने लगा और बाहर गिरने लगा।

इसके बाद बाबा ने जोर से पुकारा— “हे काशी दास बाबा, इसे रोक दो!” और आश्चर्यजनक रूप से दूध का उबाल तुरंत रुक गया।

क्या यह अंधविश्वास है? बाबा का जवाब

जब बाबा से पूछा गया कि एक तरफ तो वे अंधविश्वास से दूर रहने की अपील कर रहे हैं और दूसरी तरफ वे खुद ऐसे अनुष्ठान करवा रहे हैं, जिन्हें लोग अंधविश्वास ही मान सकते हैं, तो इसका क्या अर्थ है?

बाबा विराट भगत ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया—
“हम जो कर रहे हैं, वह कोई जादू या तंत्र-मंत्र नहीं है। यह एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जिसमें विशेष ऊर्जा होती है। देवी-देवताओं के आह्वान और श्रद्धा से यह सब संभव होता है। यह विज्ञान से परे की शक्ति है, जिसे हर कोई नहीं समझ सकता।”

विज्ञान और आध्यात्मिकता की बहस

इस पूजा के बाद लोगों में बहस छिड़ गई कि—

  1. क्या यह सच में एक चमत्कार था, या फिर कोई वैज्ञानिक प्रक्रिया का हिस्सा?
  2. क्या बाबा ने कोई विशेष तकनीक अपनाई, जिससे गर्म पदार्थ ठंडा महसूस होने लगे?
  3. क्या मानसिक विश्वास और आध्यात्मिकता के कारण ऐसा संभव हो सकता है?

क्या यह मनोवैज्ञानिक प्रभाव था?

कुछ लोगों का मानना है कि यह Placebo Effect (मन के विश्वास से शरीर पर असर पड़ना) हो सकता है। बाबा विराट भगत के भक्तों का विश्वास इतना गहरा है कि वे किसी भी दर्द को महसूस नहीं करते।

दूसरी ओर, कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर दूध और घी वास्तव में गर्म थे, तो किसी के भी जलने की संभावना थी। इसलिए, या तो यह दूध और घी किसी विशेष तकनीक से ठंडे किए गए थे, या फिर इसमें कुछ वैज्ञानिक रहस्य छिपा है।

आस्था और विज्ञान के बीच की कड़ी

जो कुछ भी हुआ, वह या तो आस्था का चमत्कार था, या फिर किसी अज्ञात वैज्ञानिक प्रक्रिया का परिणाम। विज्ञान के पास इस तरह के चमत्कारों का कोई स्पष्ट उत्तर नहीं है, लेकिन इसे पूरी तरह नकारना भी मुश्किल है।

जो लोग बाबा काशीदास की पूजा करते हैं, उनके लिए यह एक दिव्य शक्ति का प्रमाण है। वहीं, जो लोग इसे तर्क और विज्ञान की कसौटी पर परखते हैं, उनके लिए यह एक रहस्य बना हुआ है।

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