श्रीराम का जन्म होते ही मंगल गीतों से गूंजी अयोध्या ….
ताड़का वध पर लगे श्रीराम के जयकारे
आजमगढ़। श्रीरामलीला समिति पुरानी कोतवाली के तत्वावधान में आयोजित भगवान श्रीराम की लीलाओं के मंचन देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। रविवार की रात श्री बाबा बैजनाथ रामलीला मंडल जनकपुर मिथिलाधाम बिहार के कलाकारों ने श्रीराम जन्म, गुरु विश्वामित्र आगमन और ताड़का वध का मंचन किया। श्रीराम का जन्म होतेे ही लोग झूम उठे और आयोध्या मंगल गीतों से गूंज उठा।
श्रीरामलीला मंचन के क्रम में राजा दशरथ विवाह के वर्षाे बाद भी पुत्ररत्न की प्राप्ति न होने से काफी चिंतित थे। वे गुरु वशिष्ठ के आश्रम जाते हैं। गुुरु वशिष्ठ ने राजा दशरथ को अत्रि मुनि से मिलने की सलाह देते हैं। इसके बाद राजा दशरथ अत्रि मुनि के पास जाते हैं। अत्रिमुनि राजा दशरथ का पुत्रेष्ठ यज्ञ कराने की सलाह देते हैं। अत्रिमुनि की सलाह पर यज्ञ संपन्न होता है, यज्ञ से प्रसन्न होकर अग्रिदेव राजा को फल देते है। इसके बाद भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म होता है। श्रीराम का जन्म होते ही अध्योध्यावासी झूम उठे। महिलाओं ने सोहर गाकर मंगल के लिए कामना की। इसके बाद कलाकारों ने विश्वामित्र आगमन का मंचन किया गया। जिसमें विश्वामित्र यज्ञ रक्षा के लिए श्रीराम को मांगने राजा दशरथ के पास जाते हैं। राजा के कर्तव्य और पुत्र मोह के बीच एक अजीब द्वंद्व का मंचन कलाकारों ने बड़े ही मनमोहक ढंग से प्रस्तुत किया। वशिष्ठ के कहने पर दशरथ पुत्र मोह त्याग कर श्रीराम और लक्ष्मण को विश्वामित्र के साथ भेज देते हैं। विश्वामित्र के साथ जाते समय भगवान श्रीराम ताड़का का वध करते हैं। ताड़का का वध होते ही जय श्री राम के जयकारे से पंडाल गूंज उठा।
आजमगढ़। श्रीरामलीला समिति पुरानी कोतवाली के तत्वावधान में आयोजित भगवान श्रीराम की लीलाओं के मंचन देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। रविवार की रात श्री बाबा बैजनाथ रामलीला मंडल जनकपुर मिथिलाधाम बिहार के कलाकारों ने श्रीराम जन्म, गुरु विश्वामित्र आगमन और ताड़का वध का मंचन किया। श्रीराम का जन्म होतेे ही लोग झूम उठे और आयोध्या मंगल गीतों से गूंज उठा।
श्रीरामलीला मंचन के क्रम में राजा दशरथ विवाह के वर्षाे बाद भी पुत्ररत्न की प्राप्ति न होने से काफी चिंतित थे। वे गुरु वशिष्ठ के आश्रम जाते हैं। गुुरु वशिष्ठ ने राजा दशरथ को अत्रि मुनि से मिलने की सलाह देते हैं। इसके बाद राजा दशरथ अत्रि मुनि के पास जाते हैं। अत्रिमुनि राजा दशरथ का पुत्रेष्ठ यज्ञ कराने की सलाह देते हैं। अत्रिमुनि की सलाह पर यज्ञ संपन्न होता है, यज्ञ से प्रसन्न होकर अग्रिदेव राजा को फल देते है। इसके बाद भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म होता है। श्रीराम का जन्म होते ही अध्योध्यावासी झूम उठे। महिलाओं ने सोहर गाकर मंगल के लिए कामना की। इसके बाद कलाकारों ने विश्वामित्र आगमन का मंचन किया गया। जिसमें विश्वामित्र यज्ञ रक्षा के लिए श्रीराम को मांगने राजा दशरथ के पास जाते हैं। राजा के कर्तव्य और पुत्र मोह के बीच एक अजीब द्वंद्व का मंचन कलाकारों ने बड़े ही मनमोहक ढंग से प्रस्तुत किया। वशिष्ठ के कहने पर दशरथ पुत्र मोह त्याग कर श्रीराम और लक्ष्मण को विश्वामित्र के साथ भेज देते हैं। विश्वामित्र के साथ जाते समय भगवान श्रीराम ताड़का का वध करते हैं। ताड़का का वध होते ही जय श्री राम के जयकारे से पंडाल गूंज उठा।
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