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ये वो सूरज नहीं जो अस्त हो जाए .. 

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ये वो सूरज नहीं जो अस्त हो जाए .. 

आज से करीब डेढ़ वर्ष पहले ..जब सुना कि एक चैंपियन खिलाड़ी को.. भारतीय जनता पार्टी ने आजमगढ़ के लालगंज का जिलाध्यक्ष चुना है , तो मन ये प्रश्न उठा कि …खेल के मैदान में विरोधियों को चित कर देने वाले सूरज प्रकाश श्रीवास्तव क्या इस चुनौतीपूर्ण पद का दायित्व संभाल पायेंगे … तबसे लेकर अबतक सूरज के राजनैतिक जीवन के हर एक जद्दो-जहद को बड़े करीब से देखा …और कल जब सुना कि लालगंज के जिलाध्यक्ष के पद पर सूरज की पारी अब समाप्त हो गयी ..तो मन में सवाल कई उठे ….और हर उस सवाल का जवाब एक ही है… कि …….सूरज ..तुम्हारे जैसा कौन है .. न तो आजमगढ़ की राजनीति में कोई दूसरा सूरज है ….और न ही कोई दूसरा सूरज हो सकता है…
भाई जहाँ रहो जिंदाबाद रहो …शायद अब कभी भाजपा कार्यालय जाऊं तो आपके उस मुस्कुराते चेहरे का दीदार न हो उस कुर्सी पर …..जिसपर बैठकर मुस्कुराते हुए सूरज फरियादियों की परेशानियों , मुश्किलों को सुलझाते हुए अपनत्व का जो भाव देते थे ..कि घबराइये मत सब ठीक हो जाएगा ..वो अब शायद देखने को न मिले .
सूरज …आपके जिलाध्यक्ष लालगंज बनने के बाद ..लालगंज क्षेत्र में भाजपा को सभी वर्गों में आपने जो विस्तार दिया वो आज से पहले कहाँ मुमकिन था . खासकर मुस्लिम समुदाय बड़ी संख्या में आपके साथ जुड़ा ….संगठन स्तर पर कोई भी टास्क मिला , या पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के दिशा निर्देशों को बखूबी आपने अंजाम दिया ..लेकिन कल से समय बदल चुका है ..अब इस सूरज को यहीं ..रुकना नहीं है ….चारों तरफ अपनी ऊर्जा ….अपनी चमक से सबको प्रकाश से अभिसिंचित करना है …ये पूरा क्षितिज आपका है …
हमारी ये अभिलाषा है कि हमारा अनुज रानजीति के राष्ट्रीय फलक पर दैदीप्यमान हो …क्योंकि बहुत पहले ही आपको मैं कह चुका हूँ कि आपको देखकर …(राजनीति) बरबस …अटल जी की याद आ जाती है …
भविष्य की मंगल कामनाओं के साथ आपका भाई , वसीम अकरम

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