“होली के रंग”
“गुलाल की खुशबू, पिचकारी की धार,
रंगों में घुली है प्यार की बहार।
फागुन की मस्ती, बांसुरी की तान,
बरसे हैं रंग, झूमे आसमान।”
इस पद में होली के माहौल का सुंदर चित्रण किया गया है। गुलाल की खुशबू चारों ओर फैली हुई है, पिचकारी से रंगों की धार बह रही है, और चारों ओर प्रेम का रंग घुला हुआ है। फागुन के महीने में मस्ती का माहौल है, बांसुरी की मधुर ध्वनि गूंज रही है, और रंगों की बौछार से पूरा आकाश भी झूम उठा है।
“पीला, हरा, गुलाबी, लाल,
होली में रंग गए हर हाल।
मिल जुलकर सब हँसे-गाए,
दुश्मन भी गले लग जाए।”
इस पद में विभिन्न रंगों का उल्लेख किया गया है, जो होली के विविध रंगों और भावनाओं का प्रतीक हैं। यह त्योहार हर व्यक्ति को अपने रंग में रंग लेता है। इस दिन लोग मिलकर हँसी-मजाक करते हैं, गीत गाते हैं, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दुश्मन भी गले मिलकर अपनी नाराजगी भुला देते हैं।
“भंग की मिठास, गुझिया का स्वाद,
हर चेहरे पर है खुशियों का नाद।
रूठे को मना लो, दिल को मिला लो,
रंगों की बौछार से रिश्तों को सजा लो।”
इस पद में होली के खास पकवानों और उसकी मिठास का उल्लेख किया गया है। भंग की मस्ती और गुझिया का स्वाद त्योहार को और आनंदमय बना देते हैं। हर कोई खुश नजर आता है। साथ ही, यह त्योहार रूठे हुए अपनों को मनाने और रिश्तों को और मजबूत करने का अवसर भी देता है।
“राधा की हंसी, कान्हा की टोली,
ऐसे सजे मन में खुशियों की होली।
रंग नफरत का कहीं भी न हो,
बस प्रेम और अपनापन घोल दो।”
इस पद में राधा-कृष्ण की होली का सुंदर चित्रण किया गया है, जो प्रेम और आनंद का प्रतीक है। यह संदेश दिया गया है कि इस पावन अवसर पर किसी के मन में नफरत का कोई रंग न हो, बल्कि प्रेम और अपनापन ही चारों ओर फैले।
इस कविता में होली के रंग-बिरंगे माहौल, उल्लास, प्रेम, मिठास और मेल-मिलाप का सुंदर चित्रण किया गया है। यह त्योहार न केवल रंगों और पकवानों से भरा होता है, बल्कि यह आपसी प्रेम, सौहार्द और नफरत को दूर करने का भी संदेश देता है। अंततः, यह कविता बताती है कि होली प्रेम, अपनापन और आनंद का पर्व है, जहाँ सभी को साथ आकर खुशियों के रंगों में सराबोर होना चाहिए।
लेखक – राहुल मौर्या