“तुम्हारा आखिरी प्रेम पत्र”
“जब शब्द बिखर गए, और खामोशी रह गई,
तब भी मेरी धड़कनों में, बस तुम ही रह गई।
जो कह न सके, वो आँखों ने कह दिया,
तुमने सुना नहीं, मगर दिल ने सह लिया।”
यह पंक्तियाँ दर्शाती हैं कि प्रेम इतना गहरा होता है कि जब शब्द साथ छोड़ देते हैं, तब भी दिल की धड़कनें उस प्रिय व्यक्ति को संजोए रखती हैं। प्रेमी की भावनाएँ इतनी प्रबल हैं कि जो वह शब्दों में नहीं कह सका, उसकी आँखों ने बयां कर दिया। लेकिन दुःख इस बात का है कि उसकी प्रिय ने उसे सुना नहीं, फिर भी प्रेमी ने यह दर्द चुपचाप सह लिया।
“तुम्हारी हँसी की गूँज अब भी है बाकी,
जैसे मंदिर में बजती हो शाम की आरती।
तेरी यादों के दीप जलते हैं रोज,
एक उम्मीद में, कि तुम आओगी फिर रोज़।”
इस हिस्से में प्रेमी अपनी प्रिय की हँसी को एक पवित्र ध्वनि से जोड़ता है, जो किसी मंदिर की आरती की तरह गूँजती रहती है। यह दर्शाता है कि वह हँसी उसके जीवन में अब भी जीवित है, भले ही प्रिय व्यक्ति चला गया हो। उसकी यादें दीपों की तरह जलती रहती हैं, और प्रेमी हर दिन एक नई उम्मीद लेकर जीता है कि शायद उसकी प्रिय वापस लौट आए।
“अगर ये आखिरी ख़त है, तो सुन लो मेरी,
अब भी सांसों में बसती है खुशबू तेरी।
मोहब्बत मरती नहीं, बस ख़ामोश हो जाती है,
कभी दुआ, तो कभी एक सज़ा बन जाती है।”
इस पंक्ति में प्रेमी अपने प्रेम को अंतिम बार अभिव्यक्त करता है। वह मानता है कि भले ही यह उसका आखिरी पत्र हो, लेकिन उसकी प्रिय की खुशबू अब भी उसकी सांसों में बसी हुई है। प्रेम कभी खत्म नहीं होता, बल्कि सिर्फ खामोश हो जाता है। यह प्रेम कभी किसी के लिए दुआ बन जाता है, तो कभी एक दर्दनाक सजा की तरह जीवनभर महसूस होता रहता है।
यह कविता प्रेम की उस गहराई को दर्शाती है, जो समय बीतने के बाद भी जिंदा रहती है। जब प्रेमी अपनी भावनाओं को शब्दों में नहीं कह पाता, तब उसकी आँखें बोलती हैं, लेकिन कभी-कभी वह भी अधूरी रह जाती हैं। प्रिय व्यक्ति की अनुपस्थिति में उसकी हँसी, यादें, और उसकी खुशबू अब भी प्रेमी के जीवन में बनी रहती हैं। अंत में, प्रेमी यह स्वीकार करता है कि सच्चा प्यार कभी मरता नहीं—वह बस चुपचाप दिल में समा जाता है और कभी किसी के लिए आशीर्वाद बन जाता है, तो कभी एक न खत्म होने वाला दर्द।
लेखक – राहुल मौर्या