करवा चौथ भारत में सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है… इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं….आने वाला रविवार, 20 अक्टूबर 2024 को करवाचौथ का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन अधिकांश महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र की कामना करते हुए निर्जला व्रत करती हैं. यह व्रत सुख-समृद्धि और पति की दीर्घायु के लिए समर्पित होता है…. महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं और रात में चंद्रमा के दर्शन के बाद अपना व्रत खोलती हैं. करवाचौथ को करक चतुर्थी और दशरथ चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है….
करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय
करवा चौथ (करवा चौथ 2024 शुभ मुहूर्त) पर शाम 07:54 बजे चंद्रमा प्रकट होगा.
करवा चौथ व्रत की विधि
सूर्योदय से पहले उठकर सरगी का सेवन करें.
करवा चौथ के दिन प्रातः सूर्योदय से पूर्व स्नान करें.
इस पवित्र व्रत को विधिपूर्वक करने का संकल्प लें.
देवी-देवताओं की नियमित पूजा की भांति इस दिन भी पूजा करें.
इसके बाद पूरे दिन निर्जल व्रत रखें. शाम को भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान कार्तिकेय और भगवान गणेश की पूजा रोली, चंदन, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य और श्रृंगार के सामान से करें.
इसके बाद करवा चौथ की कथा का पाठ करें या सुनें.
चंद्र देव के उदय होने पर उनका दर्शन करें और फिर पति को छलनी से देखें.
चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद अपने पति को तिलक लगाकर प्रसाद खिलाएं और उनके हाथों से पानी पीकर अपना व्रत समाप्त करें.
अंत में अपनी सास के पैर छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें.
करवा चौथ में दिया जाता है चंद्रमा को अर्घ्य
करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाएं प्राचीन रीति-रिवाजों के अनुसार चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करती हैं. चंद्रमा को अर्घ्य देने के पश्चात, वे अपने पति का चेहरा देखती हैं और पति के हाथों से जल ग्रहण करके व्रत का पारण करती हैं. चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करते समय पारंपरिक गीतों का गायन भी किया जाता है.
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