हेमंत सोरेन का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। 10 अगस्त 1975 को जन्मे हेमंत को राजनीति विरासत में मिली। उनके पिता शिबू सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के प्रमुख और झारखंड आंदोलन के प्रमुख चेहरा रहे हैं। हेमंत की पढ़ाई-लिखाई में रुचि तो थी, लेकिन वे फोटोग्राफी और स्केचिंग जैसे रचनात्मक कार्यों की ओर भी आकर्षित थे। हालांकि, बड़े भाई दुर्गा सोरेन की मृत्यु और पिता की राजनीतिक विरासत संभालने के दबाव में उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़कर राजनीति में कदम रखा।
2005 में हेमंत ने पहली बार दुमका सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन वे हार गए। 2009 में राज्यसभा में भी उनकी एंट्री हुई, मगर जल्द ही इस्तीफा देकर वे फिर विधानसभा चुनाव में उतरे और अपने पुराने प्रतिद्वंद्वी स्टीफन मरांडी को हराया। इस जीत के साथ ही उन्होंने अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत कर ली।
हेमंत ने 2013 में पहली बार मुख्यमंत्री का पद संभाला, लेकिन 2014 में सत्ता से बाहर हो गए। पांच साल बाद 2019 में दोबारा मुख्यमंत्री बने और राज्य के विकास की दिशा में कदम बढ़ाए।
2024 में मनी लॉन्ड्रिंग और जमीन घोटाले के आरोपों में हेमंत को गिरफ्तारी का सामना करना पड़ा। आरोप था कि उन्होंने सेना की जमीन और आदिवासी जमीन पर अवैध कब्जा किया। गिरफ्तारी के बाद जमानत पर रिहा होकर हेमंत ने तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, और झारखंड में अपनी राजनीतिक स्थिति को पुनः सुदृढ़ किया।
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