करछना प्रयागराज। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक भूमि व तालाबों से कब्जा हटाने का सख्त निर्देश दिया है। उनके निर्देश का करछना तहसील के ग्राम हथिगन क्षेत्र में अनुपालन नहीं हो रहा है। रसूखदार तालाब पर कब्जा कर रहे हैं। जबकि जिम्मेदार चुप्पी साधे हुए हैं।
तहसील क्षेत्र के ग्राम हथिगन में 1359 फसली के खसरे में तालाब के नाम से दर्ज है। पुराने गाटा संख्या 1172/3 दो बीघा एवं 1172/4 एक बीघा 17 बिस्वा तालाब को नये गाटा संख्या 1234, 1233, 1236, 1326, 1324, में दर्शा कर रसूखदार द्वारा तालाब पर कब्जा कर लिया गया है। इसके अलावा तालाब के पुराने गाटा संख्या 1323/4 में एक बीघा 8 बिस्वा पर नया नंबर 914/4 रकबा दर्ज कर एक बीघा 7 बिस्वा रसूखदार लोगों के नाम दर्ज कर दिया। इसी तरह नया नंबर 914/3 में दो बिस्वा के बजाय 3 बिस्वा दर्ज है। जबकि एक बीघा 7 बिस्वा आबादी में दर्ज है। वहीं एक बिस्वा किसान के नाम दर्ज है। तालाब संख्या 912 एवं 657 पर भी कब्जा की शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया गया। इस मामले में पांच साल से बराबर प्रार्थना पत्र तहसील प्रशासन को दिया जा रहा है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। इस मामले में उच्च न्यायालय इलाहाबाद में जनहित याचिका दायर कर तालाब का अस्तित्व बचाए रखने की कोशिश की गई जिसमें कोर्ट ने प्रकरण को एसडीएम के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दिया। इसपर पत्रावली तैयार कर उसपर लेखपाल एवं तहसीलदार समेत सभी सम्बद्ध तहसील अधिकारी का हस्ताक्षर कर एसडीएम करछना के समक्ष प्रस्तुत किया गया। फिर भी आज की तारीख तक किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं हुई। ग्रामीणों का आरोप है कि लेखपाल से मिलीभगत कर तालाब कब्जा कर मकान बनाया जा रहा है। मिलीभगत में प्रधान भी शामिल है। पैसा लेकर कब्जा कराया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि तालाब में कई रकबे हैं। सभी पर प्रधान और लेखपाल मिलीभगत कर कब्जा करा रहे हैं। इसके एवज में अवैध कमाई धड़ल्ले से की जा रही है। स्थानीय अधिकारी व कर्मचारी कार्रवाई करने से कन्नी काट रहे हैं। तालाब का कोई भी रकबा अवैध कब्जे से अछूता नही है। तालाब पर अभी भी रसूखदार की नजर है। जिस पर पहले तो कूड़ा करकट फेंककर उसको बराबर किया जाता है। उसके बाद उस पर माटी डाल कर झोपड़ी बनाकर कब्जा किया जा रहा है। जिसके कारण तालाबों में जाने वाला गांव के नाली का पानी मार्ग पर फैला रहता है। जिससे यहां जल निकासी की समस्या भी उत्पन्न हो गई है। इसकी शिकायत के बावजूद तहसील प्रशासन कार्रवाई नहीं कर रहा है। तालाब पर कब्जा के चलते मवेशियों के सामने पेयजल संकट उत्पन्न हो रहा है। स्थानीय ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से हस्तक्षेप कर तालाब की भूमि से कब्जा हटाने तथा तालाब का जीर्णोद्धार कराने की मांग की है। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट के साथ ही सुप्रीम कोर्ट और सरकार का निर्देश है कि तालाबों को अतिक्रमण से मुक्त कराकर उसे सुरक्षित रखा जाए। इसके बावजूद तहसील प्रशासन तालाब से अतिक्रमण हटाने की कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। इससे दिनों दिन तालाब पर दबंग अवैध कब्जा करके निर्माण कार्य कर रहे हैं।
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