महाराष्ट्र के जलगांव में 22 जनवरी को लखनऊ से मुंबई जा रही पुष्पक एक्सप्रेस के 23 यात्री हादसे का शिकार हो गए, जब दूसरे ट्रैक पर आ रही कर्नाटक एक्सप्रेस ने उन्हें कुचल दिया। इस दर्दनाक दुर्घटना में अब तक 13 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 10 लोग गंभीर रूप से घायल हैं और उनका इलाज जलगांव के सिविल अस्पताल में जारी है।
हादसे का कारण: अफवाह और अफरा-तफरी
घटना के दौरान ट्रेन में मौजूद यात्रियों ने बताया कि इस दुर्घटना की शुरुआत आग लगने की अफवाह से हुई, जिसे सबसे पहले एक चायवाले ने फैलाया। यह अफवाह जनरल डिब्बे में सफर कर रहे उधल कुमार और विजय कुमार ने सुनी। घबराकर दोनों यात्री चलती ट्रेन से कूद गए। इसके बाद किसी ने चेन पुलिंग की और कई अन्य यात्री भी जान बचाने के लिए ट्रेन से कूदने लगे।
अफवाह के कारण ट्रेन में अफरातफरी का माहौल बन गया। कई लोग ट्रैक पर कूदे, जबकि कुछ ने उस दरवाजे से छलांग लगाई जहां ट्रैक नहीं था। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि अगर सभी यात्री एक ही दिशा में ट्रैक की ओर भागते, तो हादसा और भी बड़ा हो सकता था।
मृतकों और घायलों का विवरण
जलगांव कलेक्टरेट के अनुसार, हादसे में जान गंवाने वाले 13 में से 10 मृतकों की पहचान कर ली गई है, जबकि 3 की पहचान अभी बाकी है। कर्नाटक एक्सप्रेस से कटने के कारण कई शव बुरी तरह क्षत-विक्षत हो गए। रेस्क्यू टीम और स्थानीय लोगों ने चादरों में इन शवों के टुकड़ों को इकट्ठा किया। यह घटना 22 जनवरी को शाम 4:42 बजे पाचोरा स्टेशन के पास हुई।
पीड़ित परिवारों को मुआवजा
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मृतकों के परिजनों को 1.5 लाख रुपये, गंभीर घायलों को 50,000 रुपये और मामूली घायलों को 5,000 रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है।
हादसे का कारण: रेल अधिकारियों की जांच
सेंट्रल रेलवे के भुसावल डिवीजन के अधिकारियों ने बताया कि जिस स्थान पर यह घटना हुई, वह एक शार्प टर्न है। इसी कारण दूसरे ट्रैक पर बैठे यात्रियों को ट्रेन के आने का अंदाजा नहीं लग पाया। प्रारंभिक जांच में यह भी पता चला कि पुष्पक एक्सप्रेस के एक कोच में ‘हॉट एक्सल’ या ‘ब्रेक बाइंडिंग’ के कारण धुआं और चिनगारी उठी थी। इसी वजह से अफवाह फैली और यात्री घबरा गए।
पोस्टमॉर्टम और शवों की पहचान
जलगांव सिविल अस्पताल के डीन डॉ. गिरीश ठाकुर ने बताया कि अब तक 6 शवों का पोस्टमॉर्टम पूरा हो चुका है, जबकि अन्य शवों को एनाटॉमी विभाग में भेज दिया गया है। इन शवों की एम्बलमिंग प्रक्रिया के बाद कानूनी प्रक्रिया पूरी की जाएगी और फिर इन्हें परिजनों को सौंप दिया जाएगा। मृतकों में 4 लोग नेपाल के भी हैं।
प्रत्यक्षदर्शियों के बयान
मुंबई में टैक्सी चलाने वाले साबिर और लखनऊ के राजीव शर्मा ने बताया, “हम पुष्पक एक्सप्रेस के स्लीपर कोच में सफर कर रहे थे। ट्रेन रुकने पर हमने देखा कि कुछ लोग भागते हुए ‘आग लग गई, निकलो!’ चिल्ला रहे थे। हमारे डिब्बे में भी अफरातफरी मच गई। महिलाएं और बच्चे भागने लगे।”
राजीव ने कहा, “सामने से आती ट्रेन देखकर मैंने चिल्लाकर चेतावनी दी, लेकिन कोई सुन नहीं पाया। हादसे के बाद वहां सिर्फ खून और लाशें थीं।”
रेलवे की प्राथमिक जांच
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि कर्नाटक एक्सप्रेस (गाड़ी नंबर 12627) बेंगलुरु से नई दिल्ली जा रही थी, जबकि पुष्पक एक्सप्रेस (गाड़ी नंबर 12533) लखनऊ से मुंबई जा रही थी। पुष्पक एक्सप्रेस के ब्रेकिंग सिस्टम में गड़बड़ी के कारण ट्रेन के पहियों से धुआं निकलने लगा, जिससे अफवाह फैल गई। यात्रियों की घबराहट ने इस त्रासदी को और भयावह बना दिया।
यह हादसा दिखाता है कि रेलवे सुरक्षा के साथ-साथ यात्री जागरूकता में भी सुधार की आवश्यकता है। अफवाह और घबराहट ने इस दुर्घटना को और भी घातक बना दिया। भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे और प्रशासन को सख्त कदम उठाने होंगे।