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कार्यकर्ताओं ने महंत राजू दास का फूंका पुतला

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मिर्जापुर में समाजवादी पार्टी का विरोध प्रदर्शन

मिर्जापुर में समाजवादी पार्टी (सपा) के कार्यकर्ताओं ने हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव के खिलाफ की गई विवादित टिप्पणी का कड़ा विरोध किया। इस घटना ने पार्टी कार्यकर्ताओं और समाज के विभिन्न वर्गों में आक्रोश उत्पन्न कर दिया। विरोध प्रदर्शन का आयोजन घंटाघर चौराहे पर किया गया, जहां सैकड़ों सपा कार्यकर्ता एकत्रित हुए और महंत राजू दास का पुतला दहन कर अपना आक्रोश प्रकट किया।

विवाद की शुरुआत तब हुई जब सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर संगम में स्थापित मुलायम सिंह यादव की मूर्ति की एक तस्वीर साझा की। इस पोस्ट में उन्होंने मुलायम सिंह यादव को “पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग (पीडीए) का भगवान” करार दिया। यह टिप्पणी अखिलेश यादव द्वारा समाजवादी विचारधारा और मुलायम सिंह यादव के योगदान को सम्मान देने के लिए की गई थी।

हालांकि, इस पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने मुलायम सिंह यादव के संदर्भ में एक आपत्तिजनक टिप्पणी की, जिसने सपा कार्यकर्ताओं और उनके समर्थकों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई। महंत की इस टिप्पणी ने समाजवादी पार्टी के भीतर गहरी नाराजगी और असंतोष को जन्म दिया।

सपा का आक्रोश

घंटाघर चौराहे पर सपा कार्यकर्ताओं ने महंत राजू दास के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उन्होंने महंत पर समाजवादी विचारधारा और मुलायम सिंह यादव के प्रति अपमानजनक रवैया अपनाने का आरोप लगाया। प्रदर्शन के दौरान सपा कार्यकर्ताओं ने महंत का पुतला जलाकर अपनी नाराजगी का इजहार किया।

सपा नेता आकाश यादव ने कहा, “धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव हमारे लिए केवल नेता नहीं, बल्कि पीडीए समाज के लिए एक प्रेरणास्रोत और देवता समान हैं। महंत की अभद्र टिप्पणी ने हमारे आदर्श और मान्यताओं को ठेस पहुंचाई है। हम इस अपमान को कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।” उन्होंने आगे कहा कि सपा कार्यकर्ता अपने नेता के सम्मान की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएंगे।

सपा के वरिष्ठ नेता राज कुमार यादव ने भी इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह केवल मुलायम सिंह यादव का नहीं, बल्कि समाजवादी पार्टी और उसके लाखों कार्यकर्ताओं का अपमान है। ऐसी अपमानजनक टिप्पणियां न केवल हमारे नेताओं का, बल्कि उन विचारों और सिद्धांतों का भी अपमान करती हैं, जिन पर हमारी पार्टी आधारित है।” उन्होंने महंत से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग की।

प्रदर्शन में भागीदारी

इस विरोध प्रदर्शन में सपा के कई प्रमुख नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए। अनुराग तिवारी, अजय पटेल, संदीप बिंद, रवीन्द्र सोनकर और जगदीश्वर सिंह जैसे नामचीन नेताओं ने अपनी उपस्थिति से प्रदर्शन को मजबूती दी। सभी कार्यकर्ताओं ने एक सुर में महंत के बयान की निंदा की और इसे समाज में सांप्रदायिकता फैलाने वाला करार दिया।

अनुराग तिवारी ने कहा, “मुलायम सिंह यादव ने अपने पूरे जीवन में सामाजिक न्याय और समानता के लिए संघर्ष किया है। महंत राजू दास जैसे लोग उनके योगदान को समझ नहीं सकते।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर भविष्य में ऐसी टिप्पणियां दोबारा की गईं, तो समाजवादी पार्टी इसे और उग्र रूप से जवाब देगी।

सोशल मीडिया पर प्रभाव

महंत राजू दास की टिप्पणी और उसके बाद सपा कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन ने सोशल मीडिया पर तीव्र प्रतिक्रियाएं उत्पन्न कीं। कई लोगों ने महंत के बयान की आलोचना की, जबकि कुछ ने इसे धार्मिक और राजनीतिक मुद्दा बनाने का आरोप लगाया। फेसबुक, ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर #मुलायम_का_सम्मान और #महंत_का_विरोध जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।

मिर्जापुर में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा किया गया यह विरोध प्रदर्शन स्पष्ट रूप से यह दर्शाता है कि उनके लिए मुलायम सिंह यादव का सम्मान सर्वोपरि है। महंत राजू दास की विवादित टिप्पणी ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में बड़ी बहस को जन्म दिया है। यह घटना न केवल धार्मिक और राजनीतिक टकराव का एक उदाहरण है, बल्कि यह भी दिखाती है कि समाजवादी विचारधारा और उसके नेताओं के प्रति अपमानजनक टिप्पणियां किस प्रकार लोगों की भावनाओं को उद्वेलित कर सकती हैं।

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