मुंबई। बॉलीवुड एक्टर नाना पाटेकर और एक्ट्रेस तनुश्री दत्ता के बीच चल रहा विवाद एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है। यह विवाद सात साल पहले शुरू हुआ था जब तनुश्री दत्ता ने नाना पाटेकर पर फिल्म की शूटिंग के दौरान यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। तनुश्री के आरोपों के बाद नाना पाटेकर के खिलाफ एक मामला दर्ज किया गया था और यह मामला ‘मीटू’ आंदोलन का हिस्सा बन गया था। हालांकि, अब कोर्ट ने नाना पाटेकर को इन आरोपों से बरी कर दिया है, और उनके खिलाफ की गई याचिका को भी खारिज कर दिया गया है।
मीटू आंदोलन का असर और विवाद की शुरुआत
वर्ष 2018 में ‘मीटू’ आंदोलन ने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया था। यह आंदोलन महिलाओं द्वारा यौन उत्पीड़न के खिलाफ अपनी आवाज उठाने के लिए एक मंच प्रदान करता था। हॉलीवुड से शुरू हुआ यह आंदोलन भारत में भी अपनी दस्तक दे चुका था। भारत में कई महिला कलाकारों ने इस आंदोलन के तहत अपने अनुभव साझा किए थे और अपनी आपबीती बयान की थी।
इसी आंदोलन के दौरान, तनुश्री दत्ता ने 2008 में एक फिल्म की शूटिंग के दौरान नाना पाटेकर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। तनुश्री का आरोप था कि नाना पाटेकर ने उन्हें शूटिंग के दौरान असहज स्थिति में डाला और उन्हें मानसिक तौर पर परेशान किया। तनुश्री के बयान के बाद पुलिस में मामला दर्ज हुआ था और अदालत में सुनवाई भी शुरू हो गई थी।
नाना पाटेकर को कोर्ट से राहत
नाना पाटेकर पर लगाए गए आरोपों की सुनवाई के दौरान अदालत ने उन्हें आरोपों से बरी कर दिया था। अदालत ने कहा था कि मामले में कोई ठोस सबूत नहीं हैं और आरोपों को साबित करने के लिए आवश्यक प्रमाण नहीं मिले। यह नाना पाटेकर के लिए एक बड़ी राहत थी, लेकिन इसके बाद भी तनुश्री दत्ता ने अदालत से नाना पाटेकर की राहत के फैसले को चुनौती दी थी।
तनुश्री दत्ता की याचिका खारिज
तनुश्री दत्ता ने एक बार फिर से नाना पाटेकर के खिलाफ अदालत द्वारा दी गई राहत के फैसले को मुंबई की एक अदालत में चुनौती दी थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि 2008 के आरोप अब समय सीमा पार कर चुके हैं और 2018 की घटना के लिए भी पाटेकर के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिले। इसके बाद अदालत ने तनुश्री दत्ता की याचिका खारिज कर दी।
इस फैसले के बाद तनुश्री दत्ता को बड़ा झटका लगा है। यह मामला अब फिर से चर्चा में आया है क्योंकि सात साल बाद एक बार फिर से इस पर सुनवाई हुई और अदालत ने नाना पाटेकर को राहत दी है। तनुश्री के लिए यह निराशाजनक है क्योंकि वह बार-बार इस मामले को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटा रही थीं, लेकिन कोर्ट ने उनके खिलाफ फैसला सुनाया।
क्या था ‘मीटू’ का प्रभाव?
‘मीटू’ आंदोलन ने न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में महिलाओं को अपनी आवाज उठाने का एक प्लेटफार्म प्रदान किया। भारत में कई महिलाओं ने अपने साथ हुए शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के अनुभव साझा किए थे, जिससे समाज में जागरूकता और संवेदनशीलता बढ़ी। हालांकि, यह मामला केवल नाना पाटेकर और तनुश्री दत्ता तक सीमित नहीं था, बल्कि इसने बॉलीवुड इंडस्ट्री में यौन उत्पीड़न और भेदभाव के मुद्दों को सामने लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
तनुश्री और नाना पाटेकर का विवाद
यह विवाद आज भी बहुत चर्चित है, खासकर जब से ‘मीटू’ आंदोलन के बाद कई महिला कलाकारों ने अपने उत्पीड़न की कहानियाँ साझा की थीं। तनुश्री और नाना के बीच यह विवाद विशेष रूप से तब महत्वपूर्ण हो गया था क्योंकि नाना पाटेकर बॉलीवुड के एक सम्मानित अभिनेता हैं और तनुश्री की बातों ने पूरी इंडस्ट्री को झकझोर दिया था।
अब सात साल बाद, अदालत ने यह फैसला सुनाया है कि नाना पाटेकर के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिले हैं और समय सीमा पार कर चुके आरोपों पर अब कोई सुनवाई नहीं हो सकती। इस फैसले के बाद से यह मामला एक बार फिर से चर्चा का विषय बन गया है, और अब यह देखना होगा कि तनुश्री दत्ता इस फैसले के बाद क्या कदम उठाती हैं।
इस फैसले के बाद, नाना पाटेकर को राहत मिली है, लेकिन तनुश्री दत्ता की याचिका के खारिज होने से यह मामला एक बार फिर से मीडिया की सुर्खियों में आ गया है। ‘मीटू’ आंदोलन के दौरान की गई यह बहस और आरोप बॉलीवुड इंडस्ट्री के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुए थे, लेकिन इस फैसले के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि किसी भी मामले में समय पर उचित सबूत और प्रमाण की अहमियत होती है।