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फोन पर धमकी से पत्रकारों में उबाल, थाने में दिया गया ज्ञापन

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पत्रकार कल्याण एसोसिएशन के अध्यक्ष को दी गई धमकी, पुलिस से कड़ी कार्रवाई की मांग

प्रयागराज :- पत्रकारों की निष्पक्षता और जनहित से जुड़ी रिपोर्टिंग को दबाने के प्रयास लगातार सामने आते रहते हैं, लेकिन गुरुवार को जो घटना सामने आई, उसने एक बार फिर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पत्रकार कल्याण एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष मोहम्मद कमर को फोन पर धमकी दी गई, जिससे जिलेभर के पत्रकारों में भारी रोष व्याप्त हो गया।

घटना के अनुसार, 20 जून की सुबह मोहम्मद कमर के मोबाइल फोन पर एक अज्ञात व्यक्ति ने पत्रकार शब्द का प्रयोग करते हुए अपशब्द कहे और जान से मारने की धमकी दी। इसके तुरंत बाद ‘मो. नसीम’ नामक व्यक्ति ने एक सामाजिक व्हाट्सएप ग्रुप में कमर को लक्ष्य कर “बातों के देवता नहीं, लातों के देवता” जैसी अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए टिप्पणी की। यह ग्रुप कई समाजसेवियों और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों का है, जिससे घटना और भी अधिक गंभीर हो गई।

आरोपी की पृष्ठभूमि संदिग्ध
जानकारी के अनुसार, मो. नसीम का नाम कई आपराधिक गतिविधियों से जुड़ा रहा है। वह वर्षों से पारसर गैंग से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। इसके अलावा, वह ओवरलोडिंग वाहनों के संचालन और लोकेशन सेटिंग जैसे अवैध कामों में भी सक्रिय है। उसकी तीन निजी ओवरलोड गाड़ियां बालू और गिट्टी लेकर रींवा रोड पर संचालित होती हैं। पत्रकारों की निष्पक्ष रिपोर्टिंग से नसीम समेत कुछ लोग नाराज चल रहे थे, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि यही गुस्सा धमकी में तब्दील हो गया।

पत्रकारों ने जताया आक्रोश
इस गंभीर घटना के विरोध में पत्रकार कल्याण एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष ऋषभ द्विवेदी की अगुवाई में सैकड़ों पत्रकार साथी घूरपुर थाने पहुंचे। वहां उन्होंने एसएचओ को ज्ञापन सौंपते हुए आरोपियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की।

इस मौके पर मौजूद वरिष्ठ पत्रकार मोहम्मद आरिफ ने कहा, “पत्रकारों को डराने-धमकाने की ये कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी। हम लोकतंत्र की रक्षा के लिए कलम उठाते हैं, न कि किसी के डर से कलम छोड़ देंगे।”

ज्ञापन सौंपने वालों में प्रमुख नाम
घटना की निंदा करते हुए पत्रकारों की एकजुटता दिखी। मौके पर मौजूद प्रमुख पत्रकारों में मोहम्मद कमर, मोहम्मद आरिफ, पुष्पराज सिंह, सोहेल अकरम, नीतीश कुमार सिंह, मोहम्मद फ़ज़ात, हिमांशु तिवारी, अशोक कुमार, ओम शंकर पांडे, कमलेश शर्मा और आदित्य कुमार शामिल थे।

पुलिस ने दिया जांच का आश्वासन
एसएचओ घूरपुर ने पत्रकारों को आश्वस्त किया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जांच शुरू की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।

यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि सच्चाई की राह आसान नहीं होती, लेकिन जब पत्रकारों की कलम सत्य के लिए चलती है, तो उसकी आवाज को दबाना किसी के बस की बात नहीं। पत्रकार समाज ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ऐसी किसी भी धमकी का जवाब कानूनी और लोकतांत्रिक तरीके से दिया जाए

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