मनोज सिंह टाइगर: अभिनय की बुलंदी से लेकर गायकी की नई उड़ान तक
आज़मगढ़ । भोजपुरी सिनेमा के बहुमुखी प्रतिभा के धनी अभिनेता मनोज सिंह टाइगर, जिनका नाम सुनते ही दर्शकों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है, अब अभिनय के बाद गायकी में भी अपनी किस्मत आज़माने को तैयार हैं। हास्य और खलनायकी के अद्भुत मिश्रण से दर्शकों का दिल जीत चुके मनोज सिंह टाइगर को अब लोग एक नए रूप में देखने-सुनने के लिए उत्साहित हैं।
भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में अपने बेहतरीन अभिनय से खास पहचान बना चुके मनोज सिंह टाइगर ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि प्रतिभा किसी एक विधा तक सीमित नहीं रहती। अब वह बतौर गायक अपने पहले म्यूजिक वीडियो के साथ दर्शकों के सामने हैं, जिसकी लॉन्चिंग हाल ही में एक भव्य कार्यक्रम में की गई।
संघर्ष से शुरू हुआ सफर
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले से ताल्लुक रखने वाले मनोज सिंह टाइगर का फिल्मी सफर काफी संघर्षों से भरा रहा। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत थिएटर से की। रंगमंच पर अभिनय की बारीकियों को सीखने के बाद उन्होंने धीरे-धीरे फिल्म इंडस्ट्री की ओर कदम बढ़ाया। उनके बोलने का खास लहजा, चेहरे के भाव और संवाद अदायगी की शैली ने जल्दी ही उन्हें दर्शकों के बीच लोकप्रिय बना दिया।
भोजपुरी सिनेमा में उन्होंने बतौर चरित्र अभिनेता और विलेन की भूमिका निभाते हुए एक अलग छवि बनाई। लेकिन उनकी खासियत थी – खलनायकी में भी हास्य का तड़का लगाना। यही वजह रही कि उन्होंने अपनी भूमिकाओं में एक अलग पहचान बनाई और दर्शकों के बीच ‘बतासा चाचा’ के नाम से मशहूर हो गए।
सुपरहिट फिल्मों की श्रृंखला
मनोज सिंह टाइगर ने अब तक कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया है जिनमें “ससुरा बड़ा पैसेवाला”, “निरहुआ हिंदुस्तानी”, “दिलवाला”, और “बॉर्डर” जैसी हिट फिल्में शामिल हैं। उनकी एक्टिंग में एक खास तरह की नैचुरल फ्लो है, जो सीधे दर्शकों के दिल में उतरती है। संवादों की टाइमिंग, हास्य का पुट और खलनायकी का अंदाज – सब कुछ इतनी सहजता से निभाते हैं कि वह हर फ्रेम में जीवंत नजर आते हैं।
गायकी में पहली पारी
अब मनोज सिंह टाइगर ने गायकी के क्षेत्र में भी कदम रख दिया है। हाल ही में उनके पहले भोजपुरी गाने की विधिवत लॉन्चिंग की गई। खास बात यह रही कि इस म्यूजिक वीडियो में उनके साथ नजर आए अभिनेता गौरव पंडित, जो आमतौर पर खलनायक की भूमिकाओं के लिए जाने जाते हैं, इस बार एक रोमांटिक किरदार में दिखे।
कार्यक्रम के दौरान जब मनोज सिंह टाइगर ने गाने का एक मुखड़ा सुनाया, तो वहाँ मौजूद दर्शक तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठे। उनकी आवाज़ में एक खास किस्म की मिठास और गहराई थी, जो सीधे दिल को छू गई। कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने कहा कि उन्हें कभी अंदाज़ा नहीं था कि टाइगर की आवाज़ इतनी शानदार होगी।
फूहड़ता से दूर, परिवार के साथ सुनने योग्य गाना
गाने की लॉन्चिंग के दौरान मीडिया से बात करते हुए मनोज सिंह टाइगर ने कहा,”अगर मैं चाहता तो किसी बड़े अभिनेता या अभिनेत्री के जरिए इस गाने को रिलीज करवा सकता था। लेकिन मुझे अपने फैसले और अपनी प्रस्तुति पर भरोसा है। ये गाना फूहड़ता से कोसों दूर है और हर वर्ग के दर्शकों के साथ बैठकर सुनने लायक है।”उनका यह बयान उन तमाम लोगों के लिए एक सकारात्मक संदेश है, जो भोजपुरी म्यूजिक इंडस्ट्री में बढ़ती अश्लीलता को लेकर चिंतित रहते हैं।
नवोदित कलाकारों को प्रेरणा
जब उनसे पूछा गया कि वह अपने जिले के नवोदित कलाकारों को कैसे सहयोग देंगे, तो उन्होंने बड़ी सादगी से जवाब दिया:”संघर्ष की आंच पर तपेगा, तभी तो सोना बनेगा। जो युवा सच्चे मन से मेहनत करना चाहता है, मैं हमेशा उसके साथ खड़ा हूँ।”मनोज सिंह टाइगर का यह नजरिया बताता है कि वह केवल एक अभिनेता नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक और प्रेरणास्त्रोत भी हैं।
सूफी गायकी में भी रुचि
मनोज सिंह टाइगर सिर्फ भोजपुरी गानों तक सीमित नहीं हैं। उन्हें सूफी अंदाज़ की गज़लें गाने में विशेष रुचि है। उन्होंने बताया कि जब भी उन्हें मौका मिलता है, वह सूफी संगीत में खो जाते हैं। उनकी आवाज़ में एक आत्मिक गहराई है, जो सूफियाना अंदाज़ के साथ और भी प्रभावशाली हो जाती है।
निष्कर्ष:बहुआयामी कलाकार की नई पहचान
मनोज सिंह टाइगर ने अपने संघर्ष और मेहनत से वह मुकाम हासिल किया है, जहां आज वह अभिनय और गायकी – दोनों में अपना परचम लहरा रहे हैं। उनका यह नया अवतार न केवल दर्शकों के लिए रोमांचक है, बल्कि भोजपुरी इंडस्ट्री के लिए भी एक नई दिशा की ओर इशारा करता है।
जहां एक ओर मनोरंजन के नाम पर अश्लीलता को बढ़ावा देने वाली सामग्री की भरमार है, वहीं मनोज सिंह टाइगर जैसे कलाकारों की पहल इस धारणा को तोड़ती है कि बिना फूहड़ता के भी लोगों का दिल जीता जा सकता है।
अब देखना यह है कि बतासा चाचा के नाम से मशहूर यह बहुआयामी कलाकार आने वाले समय में हमें और कितने रंगों में नजर आता है – अभिनय, गायकी, निर्देशन या शायद लेखन में भी!
रिपोर्ट : वसीम अकरम