आजमगढ़। जनपद के तरवां थाना क्षेत्र में एक युवक की पुलिस अभिरक्षा में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत से क्षेत्र में तनाव फैल गया है। मृतक की मां की तहरीर पर थानाध्यक्ष कमलेश कुमार पटेल सहित तीन पुलिसकर्मियों के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट सहित अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। घटना के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने थाने पर जमकर हंगामा किया, तोड़फोड़ की और पथराव किया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को अतिरिक्त बल तैनात करना पड़ा। पुलिस अधीक्षक ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
तरवां थाना क्षेत्र के उमरी गांव की रहने वाली कुसुम देवी ने अपनी तहरीर में बताया कि 29 मार्च 2025 की सुबह करीब 7 बजे थानाध्यक्ष कमलेश कुमार पटेल कुछ पुलिसकर्मियों के साथ उनके घर पहुंचे। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों ने उनके बेटे सन्नी कुमार से पूछताछ के दौरान जातिसूचक गालियां दीं और जब परिवार ने इसका विरोध किया, तो उसकी पिटाई शुरू कर दी। इसके बाद सन्नी को जीप में डालकर थाने ले जाया गया।
कुसुम देवी के अनुसार, जब वह परिवार और गांव वालों के साथ थाने पहुंचीं तो थानाध्यक्ष ने आश्वासन दिया कि सन्नी को शाम तक छोड़ दिया जाएगा। लेकिन रात 11 बजे तक कोई सूचना नहीं मिली। अगले दिन सुबह गांव वालों से खबर मिली कि थाने में सन्नी के साथ कुछ गलत हुआ है। जब परिजन थाने पहुंचे, तो पता चला कि सन्नी की मौत हो चुकी है और उसका शव पोस्टमॉर्टम के लिए सदर अस्पताल भेजा जा चुका है।
पुलिस का पक्ष और परिजनों का आरोप
पुलिस का दावा है कि सन्नी कुमार ने थाने के शौचालय में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। हालांकि, परिजनों और ग्रामीणों को इस दावे पर भरोसा नहीं है। उनका आरोप है कि सन्नी की हिरासत में हत्या की गई और पुलिस इसे आत्महत्या का रूप देने की कोशिश कर रही है।
परिजनों का कहना है कि सन्नी पूरी तरह स्वस्थ था और उसे किसी भी तरह की मानसिक परेशानी नहीं थी। उन्होंने पुलिस पर साजिश रचने और साक्ष्य मिटाने का आरोप लगाया है। ग्रामीणों ने इस घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
गुस्साए ग्रामीणों का हंगामा
सन्नी की मौत की खबर फैलते ही ग्रामीणों में आक्रोश भड़क उठा। देखते ही देखते बड़ी संख्या में लोग तरवां थाने पर इकट्ठा हो गए और प्रदर्शन शुरू कर दिया। भीड़ ने थाने में तोड़फोड़ की और पुलिस पर पथराव किया। हालात बेकाबू होते देख पुलिस को अतिरिक्त बल बुलाना पड़ा।
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि पुलिस निर्दोष लोगों को झूठे मामलों में फंसाने और दबाव डालकर उनसे गलत बयान लेने का काम कर रही है। ग्रामीणों ने सन्नी के लिए न्याय की मांग करते हुए पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।
प्रशासन की प्रतिक्रिया और जांच के आदेश
घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक ने तत्काल जांच के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी और दोषी पाए जाने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
इस घटना को लेकर जिले के आला अधिकारियों ने भी संज्ञान लिया है और मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम गठित कर दी गई है। पीड़ित परिवार को सुरक्षा देने और न्याय दिलाने का आश्वासन दिया गया है।
मृतक की मां कुसुम देवी की तहरीर के आधार पर थानाध्यक्ष कमलेश कुमार पटेल और दो अज्ञात पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या, एससी-एसटी एक्ट और अन्य संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।
इस मामले को लेकर क्षेत्र में तनाव बना हुआ है। पुलिस ने एहतियातन इलाके में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया है ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके।
परिजनों और ग्रामीणों का कहना है कि जब तक सन्नी को न्याय नहीं मिलेगा, वे अपना विरोध जारी रखेंगे। वहीं, प्रशासन ने शांति बनाए रखने की अपील की है और लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने की सलाह दी है।
यह मामला पुलिस हिरासत में होने वाली संदिग्ध मौतों से जुड़े सवाल खड़े करता है और न्याय प्रणाली की पारदर्शिता पर चर्चा को फिर से जीवंत कर देता है। अब यह देखना होगा कि जांच किस दिशा में जाती है और क्या पीड़ित परिवार को न्याय मिल पाता है या नहीं।