आजमगढ़ सांसद धर्मेंद्र यादव ने लोकसभा में उठाया दलित युवक की कस्टोडियल डेथ का मामला
नई दिल्ली/आजमगढ़: समाजवादी पार्टी के लोकसभा सांसद धर्मेंद्र यादव ने आजमगढ़ के ग्राम उमरी पट्टी थाना तरवा में पुलिस हिरासत में हुई दलित युवक सनी कुमार की संदिग्ध मौत का मामला लोकसभा में जोर-शोर से उठाया। उन्होंने कहा कि देश में दलितों पर अत्याचार बढ़ रहा है और उत्तर प्रदेश इस मामले में सबसे आगे है।
सांसद यादव ने एनसीआरबी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश कस्टोडियल डेथ के मामलों में नंबर एक पर है। उन्होंने राज्य की पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह अपने आपको संविधान और कानून से ऊपर मान रही है। पुलिस न्यायालय और ईश्वर से ऊपर होकर फैसले कर रही है, जो लोकतंत्र के लिए घातक है।
पोस्टमार्टम हाउस पर मचा कोहराम
धर्मेंद्र यादव ने बताया कि घटना की जानकारी मिलते ही वह अपने लोकसभा क्षेत्र में पहुंचे और मृतक के परिवार से मुलाकात की। उन्होंने पोस्टमार्टम हाउस पर मौजूद स्थिति को हृदयविदारक बताया। उन्होंने कहा कि सनी कुमार का परिवार अत्यंत गरीब है, पिता मजदूरी करते हैं और बहनों में से एक विकलांग है। ऐसे में इस परिवार का इकलौता सहारा भी पुलिस की बर्बरता का शिकार हो गया।
दलितों की सुरक्षा पर सवाल
सांसद धर्मेंद्र यादव ने राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ नेता रामजी लाल सुमन के घर पर हुए हमले और तोड़फोड़ का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में दलितों की सुरक्षा खतरे में है और यह साफ दर्शाता है कि प्रशासन की ओर से किसी भी प्रकार की सुरक्षा की गारंटी नहीं दी जा रही है।
उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार दलितों और पिछड़ों के अधिकारों की रक्षा करने में पूरी तरह विफल रही है। यह सरकार संविधान की आत्मा के खिलाफ कार्य कर रही है और तानाशाही रवैया अपना रही है।”
सरकार से की बड़ी मांग
सांसद यादव ने इस दर्दनाक घटना पर सरकार से त्वरित कार्यवाही करने की मांग की। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देशानुसार वह यह मांग करते हैं कि मृतक सनी कुमार के परिवार को एक करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता दी जाए। साथ ही परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देकर उनके जीवन-यापन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
“यदि सरकार न्याय नहीं दिलाएगी तो हम सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष करेंगे,” यादव ने कहा। उन्होंने इस घटना की उच्चस्तरीय जांच की भी मांग की, ताकि दोषियों को सख्त सजा दी जा सके।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस मामले को लेकर विपक्षी दलों ने भी भाजपा सरकार को घेरा है। कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी ने भी इस घटना की निंदा करते हुए सरकार से जवाब मांगा है। वहीं, भाजपा की ओर से अभी तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
यह घटना उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े करती है। क्या पुलिस हिरासत में हो रही मौतों पर सरकार कोई ठोस कदम उठाएगी, या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा? यह सवाल जनता के मन में उठ रहा है।
अब यह देखना होगा कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए क्या ठोस निर्णय लिए जाते हैं।