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लखनऊ में बच्चों की तस्करी का बड़ा खुलासा, गिरोह के छह सदस्य गिरफ्तार

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लखनऊ में बच्चों की तस्करी का बड़ा खुलासा, गिरोह के छह सदस्य गिरफ्तार, आजमगढ़ समेत कई जिलों में पुलिस की छापेमारी जारी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस ने बच्चों की तस्करी करने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस मामले में पुलिस ने छह लोगों को गिरफ्तार किया है और कई अन्य संदिग्धों की तलाश में आजमगढ़ समेत प्रदेश के कई जिलों में छापेमारी कर रही है। गिरफ्तार आरोपियों के बयान के आधार पर पुलिस दिल्ली की एक महिला संतोष कुमारी के संपर्क में आने वाले अन्य लोगों की भी जांच कर रही है। इस गिरोह का नेटवर्क कई राज्यों तक फैला हुआ था और अब तक यह 10 से 12 बच्चों का सौदा कर चुका है।

गिरफ्तार आरोपी और पुलिस की कार्रवाई

एसीपी अलीगंज बृज नारायण सिंह ने बताया कि पुलिस को एक संदिग्ध की जानकारी मिली है, जिसके परिवार वालों से पूछताछ की जा रही है। परिजनों के बयान और मोबाइल फोन की कॉल डिटेल के आधार पर कानपुर, सीतापुर, गोंडा और आजमगढ़ सहित अन्य जिलों में छापेमारी की जा रही है।

गिरफ्तार किए गए तस्करों की पहचान गोंडा के गौरपुरवा कर्नलगंज निवासी विनोद सिंह, आरजू नगर मड़ियांव निवासी डॉ. अल्ताफ, सीतापुर के शीतलपुरवा हरगांव निवासी नीरज कुमार गौतम, न्यू आनंद नगर विकासनगर निवासी कुसुम देवी, सीतापुर के गलैहरा छावनी अटरिया निवासी संतोष कुमारी और सरावा महिगवां निवासी शर्मा देवी के रूप में हुई है।

इनके कब्जे से एक नवजात बच्ची बरामद हुई थी, जिसे यह अवैध रूप से बेचने की कोशिश कर रहे थे। पुलिस को इन आरोपियों के मोबाइल फोन से कई नवजात शिशुओं की तस्वीरें मिली हैं, जिनकी तस्करी की जा चुकी है या की जाने वाली थी।

फोन बंद, सर्विलांस से तलाश जारी

गिरफ्तार किए जाने के बाद से गिरोह के कई अन्य सदस्य भूमिगत हो गए हैं। पुलिस ने जब कुछ संदिग्धों से संपर्क करने की कोशिश की तो उनके फोन बंद मिले। अब पुलिस तकनीकी निगरानी (सर्विलांस) की मदद से आरोपियों का पता लगाने की कोशिश कर रही है।

गिरोह का नेटवर्क और तस्करी का तरीका

मड़ियांव पुलिस की जांच में सामने आया है कि यह गिरोह बच्चों को खरीदने और बेचने के एक सुनियोजित नेटवर्क के तहत काम कर रहा था। नवजात बच्चों को गरीब परिवारों से खरीदकर उन्हें अधिक कीमत पर निःसंतान दंपतियों को बेचा जाता था। गिरोह बेटों को पाँच लाख रुपये और बेटियों को तीन लाख रुपये में बेचता था।

एक उदाहरण के तौर पर, पुलिस की पड़ताल में पाया गया कि विकासनगर निवासी एक दंपती ने गिरोह से दो लाख रुपये में एक बच्ची खरीदी थी। इस मामले में मड़ियांव थाने के दरोगा भूपेंद्र सिंह ने संतोष कुमारी और अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।

दिल्ली कनेक्शन और अंतरराज्यीय तस्करी का खुलासा

इस मामले में गिरफ्तार की गई संतोष कुमारी दिल्ली की निवासी है, और पुलिस का मानना है कि यह महिला गिरोह के अन्य सदस्यों के संपर्क में थी, जो बच्चों को दूसरे राज्यों में भी बेचने का काम कर रहे थे। पुलिस की जांच में यह भी सामने आया है कि यह गिरोह नवजात शिशुओं की तस्करी के लिए फर्जी दस्तावेज भी तैयार करता था, ताकि बच्चों को कानूनी रूप से गोद लेने की प्रक्रिया का दिखावा किया जा सके।

अवैध गोद लेने का खेल

गिरोह के सदस्य अस्पतालों में काम करने वाले कुछ कर्मचारियों और दलालों के संपर्क में थे, जो गरीब या अविवाहित महिलाओं की गर्भावस्था की जानकारी निकालते थे। इसके बाद ये तस्कर ऐसे परिवारों को चिन्हित करते थे, जो आर्थिक रूप से कमजोर थे या सामाजिक कारणों से बच्चे को पालने में असमर्थ थे।

पुलिस की पड़ताल में यह भी सामने आया है कि गिरोह बच्चों को बेचने से पहले दस्तावेजों में हेरफेर करता था और फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनवाकर उन्हें गोद लेने का वैध रूप देने की कोशिश करता था।

मामले में आगे की कार्रवाई

पुलिस अब गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ कर रही है और गिरोह के अन्य सदस्यों की पहचान करने में जुटी है।

एसीपी बृज नारायण सिंह ने बताया कि पुलिस जल्द ही गिरोह के फरार तस्करों को गिरफ्तार करेगी। इसके लिए अन्य राज्यों की पुलिस से भी समन्वय किया जा रहा है।

पुलिस का मानना है कि इस गिरोह के पकड़ में आने से देशभर में चल रहे बच्चों की तस्करी के नेटवर्क पर बड़ी चोट पहुंचेगी। पुलिस की टीम अब सभी संदिग्धों की सूची तैयार कर रही है और उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने की योजना बना रही है।

बच्चों की तस्करी के बढ़ते मामले और चुनौतियाँ

बच्चों की तस्करी एक गंभीर समस्या है, जो भारत में लंबे समय से चली आ रही है। गरीब परिवारों की मजबूरी और समाज में व्याप्त भ्रूण हत्या तथा लिंगानुपात की समस्या इसे और गंभीर बना देती है। तस्कर अक्सर अनाथ बच्चों, गरीब परिवारों के बच्चों या अविवाहित महिलाओं के बच्चों को अपना निशाना बनाते हैं।

सरकारी एजेंसियों के अनुसार, हर साल हजारों बच्चे तस्करी का शिकार होते हैं, जिनमें से कई को बाल मजदूरी, भीख मंगवाने या वेश्यावृत्ति में धकेल दिया जाता है। कुछ मामलों में, ये बच्चे अवैध गोद लेने के गिरोहों द्वारा बेचे भी जाते हैं।

इस मामले में भी पुलिस को संदेह है कि गिरोह कई अन्य बच्चों की तस्करी में शामिल हो सकता है और अब तक केवल कुछ ही मामले सामने आए हैं। आगे की जांच में और भी बड़े खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है।

लखनऊ पुलिस द्वारा किए गए इस खुलासे ने समाज में व्याप्त बच्चों की तस्करी के जघन्य अपराध को उजागर किया है। यह घटना न केवल कानून व्यवस्था के लिए एक चुनौती है, बल्कि समाज के नैतिक पतन को भी दर्शाती है।

अब देखना यह है कि पुलिस इस पूरे गिरोह को कब तक पकड़ पाती है और इस नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करने में कितनी सफल होती है। पुलिस का कहना है कि आगे और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं और इस मामले की तह तक जाने के लिए सभी जरूरी कानूनी कदम उठाए जा रहे हैं।

बच्चों की सुरक्षा और उनके भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए समाज को भी सतर्क रहना होगा और ऐसे अपराधों की सूचना तुरंत पुलिस को देनी होगी।

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