उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में मौनी अमावस्या के दिन संगम तट पर आस्था की डुबकी लगाने गई आजमगढ़ के अतरौलिया थाना क्षेत्र के गनपतपुर मिश्रौलिया गांव की निवासी 58 वर्षीय रविकला, पत्नी महेंद्र मिश्र, की भगदड़ में मृत्यु हो गई। रविकला संगम में पुण्य स्नान के लिए अपने गांव के दर्जनों लोगों के साथ गई थीं। लेकिन इस यात्रा ने उनके परिवार को गहरे दुःख में डुबो दिया।
घटना का विवरण
मौनी अमावस्या पर संगम स्नान के दौरान 28 जनवरी की रात भगदड़ मच गई। इस दौरान रविकला अपने साथ गए लोगों से बिछड़ गईं। उनके साथ गए ग्रामीण भी इस भगदड़ में अपनों को खोजते रहे और पूरी रात संगम क्षेत्र में भटकते रहे। काफी खोजबीन के बाद भी जब रविकला का कोई पता नहीं चला, तो परिजनों ने करीमनगर, अंबेडकर नगर निवासी रिश्तेदार रविप्रकाश को सूचना दी।
रवि प्रकाश की कोशिशें
रवि प्रकाश प्रयागराज में रहकर पढ़ाई करते हैं। उन्हें जैसे ही रविकला की गुमशुदगी की खबर मिली, वह अपने कुछ साथियों के साथ दारागंज पुलिस स्टेशन पहुंचे और गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस की सलाह पर उन्होंने स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल का रुख किया। अस्पताल में घायलों की लंबी कतारें थीं, लेकिन रवि प्रकाश की दादी का कहीं कोई पता नहीं चला।
दर्दनाक मंजर
रवि प्रकाश ने बताया कि अस्पताल में उन्हें कुछ लावारिस शवों को देखने की सलाह दी गई। जब वह शवगृह पहुंचे, तो वहां करीब 30 लाशें बेतरतीब हालत में रखी हुई थीं। इन शवों में से उन्होंने अपनी दादी रविकला की पहचान की।
गांव में मातम का माहौल
गुरुवार देर रात, एंबुलेंस के माध्यम से रविकला का शव उनके गांव गनपतपुर मिश्रौलिया लाया गया। शव पहुंचते ही पूरे गांव में मातम पसर गया। परिजन और ग्रामीण दहाड़े मार-मारकर रोने लगे। गांव वालों ने कुंभ मेले की अव्यवस्थाओं को कोसते हुए अपनी पीड़ा व्यक्त की।
परिवार का हाल
रविकला के परिवार में उनके पति महेंद्र मिश्र, जो खेती-बाड़ी का काम देखते हैं, और चार बच्चे हैं—दो बेटे रत्नेश और इंद्रेश, और दो बेटियां नीरज और धीरज। परिवार पर यह दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। वहीं, मृतका की बहन इंद्रावती, जो थिरई पट्टी गांव की निवासी हैं, भी उनके साथ स्नान के लिए गई थीं। इंद्रावती किसी तरह भगदड़ से बचकर अपने घर लौट आईं।
घायलों का हाल
गांव के अन्य लोग, जैसे विश्वनाथ मिश्र, विजय, मंजू, और रानी, जो इस हादसे का हिस्सा बने, किसी तरह सुरक्षित अपने गांव लौटे। लेकिन संगम तट पर हुए इस हादसे के भयावह अनुभव ने हर किसी को हिला कर रख दिया।
स्थानीय प्रतिक्रिया
ग्रामीणों का कहना है कि मौनी अमावस्या के दिन संगम पर भारी भीड़ जुटती है, लेकिन प्रशासनिक अव्यवस्थाओं के कारण यह हादसा हुआ। उन्होंने प्रशासन से इस तरह की लापरवाही पर सख्त कदम उठाने की मांग की।
आस्था का दुष्परिणाम
रविकला भी एक आस और आस्था लिए संगम पर स्नान करने गई थीं, लेकिन दुर्भाग्यवश उनका शव ही घर लौट पाया। यह हादसा कुंभ मेले की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े करता है और एक परिवार को जिंदगी भर का दर्द देकर गया है।