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‘हजार बार यहां से जमाना गुजरा है, नई नई सी ही कुछ तेरी रह गुजर फिर भी……

हर शख्स एक अनकही कहानी है: #एमआईएफएफ मास्टरक्लास में प्रसून जोशी

शब्द और रूपक आपकी जड़ों से निकलते हैं

फिल्म निर्माण आसान हो, ताकि युवाओं के सपने साकार हों

हजार बार यहां से जमाना गुजरा हैनई नई सी ही कुछ तेरी रह गुजर फिर भी। यह कहानी अब से पहले एक हजार बार कही जा सकती थी, अब भी इसे अनोखे तरीके से हजार बार सुना जा सकता है, क्योंकि हर शख्स एक अनकही कहानी है, अधूरा सपना है, अलग-अलग अनुभवों का संकलन है। प्रसून जोशी ने कहा कि हर कोई अपने स्वरूप से हमेशा एक सुंदर कहानी कह सकता है।

जाने-माने कवि, लेखक, गीतकार, पटकथा लेखक और संचार विशेषज्ञ प्रसून जोशी ने कहा, “परम सत्य को समझना बहुत मुश्किल है, इसे अलग-अलग लोगों ने अलग-अलग जाना, समझा है। हर किसी में एक अद्वितीय और प्रामाणिक श्रेष्ठता होती है। आप हर जगह नहीं हो सकते हैं, इसलिए आपको अपने दृष्टिकोण से विषय को वास्तविक तरीके से देखना चाहिए। इससे कहानी दिलचस्प और आकर्षक बनेगी।”

जाने-माने कवि, लेखक, गीतकार, पटकथा लेखक और संचार विशेषज्ञ प्रसून जोशी आज 17वें मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (एमआईएफएफ) में ‘द आर्ट ऑफ स्टोरीटेलिंग’ विषय पर एक मास्टरक्लास को संबोधित कर रहे थे।

फिल्म ‘तारे जमीं पर’ का उदाहरण देते हुए सिनेप्रेमियों से बातचीत के दौरान प्रख्यात गीतकार श्री प्रसून जोशी ने कहा कि शब्द और रूपक हमेशा हमारी जड़ों से निकलते हैं। उन्होंने कहा कि, “किसी को अपनी जड़ों और वास्तविकता से खुद को अलग नहीं करना चाहिए क्योंकि उनका हमारी लेखन शैली पर बहुत गहरा प्रभाव रहता है और जड़ों से यह जुड़ाव हमें सुंदर शब्दों और रूपकों को अंदर से उभारने में मदद करता है।”

उन्होंने एक लेखक के लिए प्रत्यक्ष सत्य के महत्व के बारे में भी चर्चा की, जो एक कहानी की धारा को तय करता है। उन्होंने इस संदर्भ में फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ के विषय पर अपने अनुभव का हवाला दिया।

फिल्म निर्माण पर एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा श्री जोशी ने कहा कि, “फिल्म निर्माण आसान होना चाहिए, ताकि युवाओं के सपने और उनकी कहानियां जीवंत हो सकें। फिल्म निर्माण को साहस से नहीं, बल्कि प्रतिभा से संचालित किया जाना चाहिए।”

सत्र का संचालन वरिष्ठ पत्रकारस्तंभकार और लेखक अनंत विजय ने किया।

प्रसून जोशी एक प्रसिद्ध कवि, लेखक, गीतकार, पटकथा लेखक और संचार विशेषज्ञ हैं, हिंदी सिनेमा में उनके काम ने उन्हें आलोचनात्मक और लोकप्रिय प्रशंसा दोनों दिलवाई है। ओगिल्वी एवं माथर और मैक्कैन एरिकसन सहित कई प्रमुख विज्ञापन एजेंसियों में अपने लंबे और विपुल करियर के माध्यम से उन्होंने सशक्त और व्यापक विज्ञापन अभियानों के जरिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के लिए सफल ब्रांड बनाए हैं। एक गीतकार के रूप में, श्री जोशी ने तारे ज़मीन पर (2007) और चटगांव फ़िल्मों में काम किया है।

श्री प्रसून जोशी ने (2012) में सर्वश्रेष्ठ गीत के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता है। उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से भी सम्मानित किया जा चुका है।

पीआईबी एमआईएफएफ टीम | एसएसपी/एए/डीआर/एमआईएफएफ-47

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यदि आप फिल्म की कहानी से प्रभावित हैं, तो संपर्क करें! क्या आप फिल्म या फिल्म निर्माता के बारे में और अधिक जानना चाहेंगे? विशेष रूप से, क्या आप पत्रकार या ब्लॉगर हैं जो फिल्म से जुड़े लोगों से बात करना चाहते हैं? पीआईबी आपको उनसे जुड़ने में मदद कर सकता है, हमारे अधिकारी महेश चोपडे से +91-9953630802 पर संपर्क करें। आप हमें miff.pib@gmail.com पर भी लिख सकते हैं।

महामारी के बाद इस फिल्म महोत्सव के पहले संस्करण के लिए, फिल्म प्रेमी इस महोत्सव में ऑनलाइन भी भाग ले सकते हैं। https://miff.in/delegate2022/hybrid.php?cat=aHlicmlk  पर ऑनलाइन प्रतिनिधि (अर्थात हाइब्रिड मोड के लिए) के रूप में मुफ्त में पंजीकरण करें। प्रतियोगिता की फिल्में, जब भी यहां उपलब्ध होंगी, देखी जा सकती हैं।

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