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आज़मगढ़ की पहचान संकलित करना चाहता हूँ – डॉ सत्य प्रकाश पाल

आजमगढ़ : भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। इस दौरान विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान देने वाले राष्ट्र नायकों का पावन स्मरण किया जा रहा है और वर्तमान पीढ़ी को राष्ट्र के प्रगति और विकास में उनके योगदान से अवगत कराने और प्रेरित करने का प्रयास किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश का आजमगढ़ जनपद अपने विद्वान साहित्यकारों के लिए जाना जाता है। हिन्दी साहित्य की विभिन्न विधाओं में आजमगढ़ जनपद के साहित्यकारों-रचनाकारों ने अत्यंत रचनात्मक और सार्थक अवदान दिया है। उनमें से बहुत से साहित्यकारों की रचनाएं अभी तक प्रकाश में नहीं आ सकी हैं। उनकी रचनाओं का कोई सुव्यवस्थित रूप  हमारे पास उपलब्ध नहीं है जबकि उनकी रचनाएं हमारे समाज और राष्ट्र की धरोहर हैं। आज़मगढ़ ऋषि चंद्रमा, ऋषि दत्तात्रेय, ऋषि दुर्वासा की तपोभूमि रही है, पौराणिक काल मे इस क्षेत्र की पहचान अवंतिकापुरी के नाम से हुआ करती थी। आजादी के अमृत महोत्सव पर हमारा प्रयास जनपद के ऐसे ही महत्वपूर्ण और गुमनाम साहित्यकारों-रचनाकारों की रचनाओं को संकलित और प्रकाशित करने की है। अंत: आजमगढ़ जनपद  के सभी सम्मानित जनता और सर्वसाधारण से निवेदन है कि आजमगढ़ जनपद के गुमनाम और  अप्रकाशित साहित्यकारों और रचनाकारों के संबंध में तथा उनकी रचनाएं और उनसे संबंधित विभिन्न पुस्तकें, लेख , आलेख,  तस्वीरें,  प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक सामग्री, दस्तावेज इत्यादि जो भी सामग्री आपके पास हो कृपया हमें उपलब्ध करवाने की कृपा करें। ताकि उनको संकलित कर प्रकाशित किया जा सके। किसी भी प्रकार से सहयोग करने वालों का यथा स्थान उल्लेख भी किया जाएगा। हमारे इस प्रयास का उद्देश्य आजमगढ़ जनपद के साहित्यिक सांस्कृतिक विरासत और महान साहित्यकारों रचनाकारों की कृतियों से और  उनके अवदान से वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों को अवगत कराना है। ताकि समय-समय पर हम उन्हें याद करते रहें और उनसे प्रेरणा ग्रहण कर सकें।

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