खखरेरू। विकास खण्ड धाता के बेलावां से सलेमपुर चौराहा जाने वाली सड़क बालू से भरे ओवर लोड वाहनों के चलते गड्ढों में तब्दील हो गई है। लगभग तीन किलोमीटर लंबी सड़क को देखकर यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि इसमें कभी पक्की सड़क बनी रही होगी। जिसके चलते इस क्षेत्र के लोग बरसात के सीजन में बाजार तथा बीमार होने पर अस्पताल तक पहुंचने के लिए भारी दिक्कतों का सामना करते हैं।
थाना क्षेत्र में यमुना पट्टी के बालू घाट वाले गांव से निकलने वाली लगभग सभी सड़कों की स्थिति इतनी खराब है कि उनमें से मोटरसाइकिल और साइकिल सवारों का निकलना दूभर है। विडंबना यह है कि इन घाटों से प्रदेश सरकार को अरबों रुपए का राजस्व प्राप्त होता है लेकिन सड़कें टूट जाने नहीं बल्कि इन मार्गों के गड्ढो में तब्दील हो जाने के बाद भी मरम्मत नहीं कराई जाती। यमुना किनारे के उन गांवों में जहां से बालू निकलती है कई वर्षों तक क्षेत्र के लोगों को अपने गांव से बाहर जाने के लिए बहुत ही कठिनाई का सामना करना पड़ता है। मुख्य रूप से बरसात के चार महीनों में गांव से बाहर जाना या रिश्तेदारों का गांव आना लगभग बंद ही रहता है। समस्या तब और बड़ी हो जाती है जब इन गांवों में कोई बीमार होता है क्योंकि बरसात में इन गड्ढों में इतना पानी भरा रहता है कि मोटरसाइकिल का आधा पहिया डूब जाता है। छोटे चार पहिया वाहन का निकालना तो असंभव ही होता है। सिर्फ ट्रैक्टर ही एक सहारा होता है जिनसे लोग हिम्मत करके अस्पताल पहुंच सकते हैं। समाचारों के माध्यम से मुख्यमंत्री या परिवहन मंत्री द्वारा उपयुक्त समय पर यह जरूर सुनने को मिलता है कि दो महीने के अंदर प्रदेश में सभी सड़कें गड्ढा मुक्त कर दी जाएं अन्यथा विभाग के अधिकारियों के ऊपर सख्त कार्यवाही होगी लेकिन ग्रामीण यह नहीं जान पाते कि कहां पर सड़के गड्ढा मुक्त हो रही हैं और ऐसा न होने पर किन अफसरों के ऊपर कार्यवाही की गई है। सलेमपुर गांव निवासी किसान रणधीर सिंह ने बताया कि इस साल बालू के ओवरलोड ट्रैक्टर और ट्रकों के रात दिन चलने से सड़क इतनी खराब हो गई कि इस मार्ग से बेलाईं, बेलावाँ, खरसेड़वा, शुकुलपुर, लिहई आदि गांव पहुंचना दूभर हो गया है। संवाददाता ने जब इस क्षेत्र के लोगों से जानना चाहा क्या ओवरलोड गाड़ियों की जांच अधिकारियों व पुलिस द्वारा कभी नहीं की जाती? तो लोगों ने बताया कि आए दिन अधिकारी जांच में आते हैं लेकिन ओवरलोड गाड़ियां बराबर चलती रहती है जिसके चलते सड़कों का यह हाल हो गया। इस सड़क को देखकर सामान्य रूप से यह नहीं कहा जा सकता कि सड़क में गड्ढे हैं या गड्ढों में सड़क। अलबत्ता पढ़े-लिखे लोग रास्ते में कहीं कहीं दिख रहे बोल्डर से समझ लेते होंगे कि इसमें कभी सड़क रही होगी। सलेमपुर, खरसेड़वा, बेलाईं, बेलावां, उरई, परवेजपुर, सहित दर्जनों गांव के लोगों ने सड़क की मरम्मत करवाए जाने की मांग की है।
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