रिपोर्ट – राहुल मौर्या
मां तमसा आरती: एक सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर
आजमगढ़ की पवित्र भूमि पर मां तमसा आरती एक ऐसा आयोजन है, जो न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं का जीवंत प्रतीक भी है। इस आयोजन का उद्देश्य न केवल आस्था को प्रगाढ़ करना है, बल्कि समाज को स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देना है। इस आरती ने पिछले 14 वर्षों में न केवल स्थानीय, बल्कि दूर-दराज के भक्तों को भी अपनी ओर आकर्षित किया है।
मां तमसा आरती का इतिहास
मां तमसा आरती का आयोजन 14 अगस्त 2010 को अनिल कुमार सिंह के नेतृत्व में हुआ था। शुरुआत में यह आयोजन छोटा था, लेकिन समय के साथ इसका आकार और महत्व बढ़ता गया। आरती के पहले वर्षगांठ पर भंडारे का आयोजन किया गया, जिससे स्थानीय समुदाय का समर्थन मिला। 2016 में, जब आयोजन के 5 वर्ष पूरे हुए, तो एक भव्य भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें अयोध्या से आए संतों ने भाग लिया और श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया। यह आयोजन समाज में एकता और धार्मिक सद्भाव का प्रतीक बन गया।
आयोजन की विशिष्टताएँ
हर पूर्णिमा को मां तमसा के घाट को दीपों की रौशनी से सजाया जाता है। घाट की सुंदरता नयनाभिराम होती है, और यह दृश्य हर श्रद्धालु को एक दिव्य अनुभव प्रदान करता है। आरती के दौरान पंडित धर्मेंद्र तिवारी द्वारा विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। आयोजन की सफलता में समिति के महासचिव राजेश पाण्डेय , व्यवस्थापक पुरुषोत्तम सिंह, सभासद विजय चंद्र यादव, सुधांशु पाण्डेय और अन्य सदस्य अहम भूमिका निभाते हैं। इन लोगों के अथक प्रयासों से आरती का आयोजन हर बार भव्य और सफल होता है।
श्रद्धालुओं का योगदान
मां तमसा आरती में स्थानीय नागरिकों के साथ-साथ दूर-दराज से भी श्रद्धालु भाग लेते हैं। यह आयोजन एक पवित्र और आत्मिक अनुभव प्रदान करता है, जो भक्तों की आस्था और विश्वास को और गहरा करता है। आयोजन के दौरान बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं, और यह मां तमसा के प्रति उनकी श्रद्धा को प्रदर्शित करता है। भक्तों के अनुसार, यह आयोजन उनकी आध्यात्मिक यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है।
सामाजिक संदेश और पर्यावरण संरक्षण
मां तमसा आरती धार्मिक आयोजन के साथ-साथ समाज में स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश देती है। आयोजकों द्वारा श्रद्धालुओं से अपील की जाती है कि वे नदी को स्वच्छ रखें और प्लास्टिक कचरे से बचें। यह आयोजन न केवल पर्यावरण की रक्षा करता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और सुंदर वातावरण भी सुनिश्चित करता है। स्वच्छता की यह पहल एक सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में देखी जाती है, जो इस आयोजन की विशेषता है।
सांस्कृतिक धरोहर और परंपरा
मां तमसा आरती न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह आजमगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत बनाए रखने का एक प्रयास भी है। इस आयोजन के माध्यम से स्थानीय संस्कृति, परंपरा और सामाजिक एकता को बढ़ावा मिलता है। इस आरती का आयोजन हमारी सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण करने का एक जीवित उदाहरण है। अनिल कुमार सिंह के शब्दों में, “यह आरती हमारी संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण करने का एक माध्यम है।”
आरती की भव्यता और उसका धार्मिक महत्व
मां तमसा की पूजा और आरती का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। हर पूर्णिमा को आयोजित होने वाली यह आरती भक्तों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक सुख प्रदान करती है। आरती का संचालन पंडित धर्मेंद्र तिवारी द्वारा विधिपूर्वक किया जाता है, जो धार्मिक अनुष्ठानों को सही रूप से संपन्न करते हैं। मां तमसा की महिमा के प्रति श्रद्धा को दर्शाने वाला यह आयोजन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
भंडारे और समाजिक एकता
भंडारे का आयोजन भी मां तमसा आरती का एक अभिन्न हिस्सा है। हर 5 वर्ष पर जब भी आरती का आयोजन होता है, तो उसके साथ भंडारे का भी आयोजन किया जाता है। यह आयोजन एकता और समाजिक भाईचारे का प्रतीक बन जाता है। विभिन्न समुदायों और वर्गों के लोग इसमें भाग लेते हैं, जो समाज में सामूहिकता और समरसता को बढ़ावा देता है।
संयोजक अनिल कुमार सिंह की भूमिका
मां तमसा आरती के संयोजक अनिल कुमार सिंह की भूमिका इस आयोजन में अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। उन्होंने अपने नेतृत्व में इस आयोजन को एक नया आकार दिया और समाज में इसे एक स्थायी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में स्थापित किया। उनका दृष्टिकोण और प्रेरणा ने इसे निरंतर बढ़ावा दिया। अनिल कुमार सिंह का कहना है, “यह आयोजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और समाज को जोड़ने का एक पुल है।”
आरती के प्रभाव और भविष्य की दिशा
मां तमसा आरती का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा है। यह आयोजन धार्मिक आस्था के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के संदेश को भी फैलाता है। भविष्य में इस आयोजन को और अधिक व्यापक बनाने की योजना है ताकि यह पूरे देश में अपनी पहचान बना सके। इसके माध्यम से एकता, सामाजिक जिम्मेदारी, और सांस्कृतिक जागरूकता का संदेश फैलाया जाएगा।
आने वाली पीढ़ियों के लिए संदेश
मां तमसा आरती का यह आयोजन आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत रहेगा। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सांस्कृतिक धरोहरों, स्वच्छता, और पर्यावरण के प्रति जागरूकता का भी प्रतीक है। इस आयोजन के माध्यम से हम समाज में सकारात्मक बदलाव की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ सकते हैं।
निष्कर्ष
मां तमसा आरती एक ऐसा आयोजन है जो धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह आयोजन न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि समाज को एकता, स्वच्छता, और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने का महत्वपूर्ण माध्यम भी है। मां तमसा आरती का यह प्रयास निश्चित रूप से आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।
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