पैगम्बरे इस्लाम ने पति-पत्नी व स्त्री-पुरूष के अधिकारों में समानता का पाठ पढ़ाया
फतेहपुर। शहर के मसवानी मुहल्ला कालिकन रोड के समीप बाद नमाज इशा रात लगभग नौ बजे जलसा जश्न मिलादुन्नबी का आयोजन किया गया। जिसमें काजी-ए-शहर कारी फरीद उद्दीन कादरी ने तकरीर करते हुए पैगम्बरे इस्लाम की शिक्षाओं को अपने जीवन में आत्मसात करने की अपील की। उन्होने कहा कि बिना भेदभाव एक-दूसरे की मदद करके भाईचारे की मिसाल पेश करें।
काजी-ए-शहर फरीद उद्दीन कादरी की सदारत में जलसा जश्न मिलादुन्नबी धूमधाम से मनाया गया। श्री कादरी ने अपनी सदारती तकरीर में कहा कि पैगम्बरे इस्लाम सदैव गरीब, बेसहारा, असहाय, अनाथ एवं विधवा सभी की खुले दिल से बिना भेदभाव के सहायता करते थे। आपने पति-पत्नी, स्त्री-पुरूष के अधिकारों में समानता का पाठ पढ़ाया। राजा व रंक सभी को मनुष्यता के धागे में पिरो दिया। जालिम के जुल्म को रोका, मजलूम की हरसंभव सहायता की। उन्होने कहा कि हम सभी को नबी की सुन्नतों पर चलकर बिना भेदभाव एक-दूसरे की मदद करके भाईचारा बनाएं रखने की कोशिश करनी चाहिए। फैजाबाद से आए मुफ्ती हबीबुर रहमान ने कहा कि हजरत मोहम्मद साहब के तशरीफ लाने से पहले इस दुनिया में बेहयाई का दौर था। हर तरफ अफरा-तफरी थी। इंसान जानवरों से बदतर जिंदगी गुजार रहा था। आपने सबसे पहले इस धरती से बुराईयों को खत्म किया और इंसान को जीने का हुनर सिखाया। उन्होने कहा कि मुस्लिम समाज के लोगों को चाहिए कि वह शरीअत पर चलकर जिंदगी गुजारें और नमाज की पाबंदी करें। शोराए केराम में इरफान फतेहपुरी, नौशाद फतेहपुरी, जीशान व मीजान फतेहपुरी ने नात पाक का नजराना पेश किया। हाफिज शाहिद रजा ने जलसे का संचालन किया। रात लगभग दो बजे दुरूदो सलाम के बाद काजी शहर की दुआ पर जलसे का समापन हुआ। कन्वीनर जलसा कारी जफर आलम, मो. आसिफ खां, मो. मोहसिन सिद्दीकी ने आए हुए मेहमानों का शुक्रिया अदा किया।
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