आज़मगढ़ :- अहरौला थाना क्षेत्र के माहुल नगर पंचायत में शनिवार दोपहर उस वक्त सनसनी फैल गई जब माहुल पुलिस चौकी से मात्र 400 मीटर दूरी पर दो बाइक सवार बदमाशों ने एक डॉक्टर के क्लीनिक में घुसकर अवैध असलहे से जानलेवा हमला कर दिया। घटना स्थल पुलिस चौकी के बिलकुल करीब होने से इलाके में हड़कंप मच गया।
जानकारी के मुताबिक, समसल्लीपुर गांव निवासी डॉ. वीरेंद्र कुमार प्रजापति का माहुल में क्लीनिक है। दोपहर करीब 12 बजे दो बदमाश बाइक से पहुंचे, और क्लीनिक में घुसते ही डॉक्टर की कनपटी पर असलहा सटाकर दो लाख रुपये की रंगदारी मांगने लगे। डॉक्टर ने विरोध किया तो एक बदमाश ने पिस्टल की बट से सिर पर वार कर घायल कर दिया। इसके बाद क्लीनिक के अंदर जबर्दस्त मारपीट और धक्का-मुक्की शुरू हो गई।
डॉक्टर वीरेंद्र ने भी हिम्मत नहीं हारी — उन्होंने बदमाश से भिड़ंत शुरू कर दी। धक्का-मुक्की में दोनों क्लीनिक से बाहर सड़क तक आ गए और कीचड़ में गिर पड़े। गिरने के दौरान बदमाश का गमछा और असलहा डॉक्टर के हाथ लग गया। यह देखकर दोनों बदमाश घबराए और मौके से भाग निकले। डॉक्टर ने असलहा अपने कब्जे में लेकर पुलिस को सूचना दी।
सूचना मिलते ही डायल 112 की टीम और माहुल चौकी इंचार्ज सुधीर सिंह मौके पर पहुंचे। लेकिन डॉक्टर का आरोप है कि चौकी इंचार्ज सिर्फ तमाशबीन बने रहे, कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। यहां तक कि 112 पुलिस ने डॉक्टर को थाने चलने को कहा, मगर चौकी इंचार्ज ने खुद असलहा थाने तक ले जाने से इनकार कर दिया और डॉक्टर को ही हथियार लेकर थाने पहुंचने को कहा!
डॉक्टर वीरेंद्र खुद अकेले थाने पहुंचे, मगर वहां मौजूद स्टाफ ने तहरीर लेने से भी इनकार कर दिया। तब उन्होंने सीधे एसपी आज़मगढ़ डॉ. अनिल कुमार को फोन कर पूरी घटना बताई और व्हाट्सऐप से तहरीर भेजी। दो घंटे बाद थानाध्यक्ष प्रदीप कुमार थाने पहुंचे और मामले की गंभीरता समझते हुए एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की।
थानाध्यक्ष प्रदीप कुमार ने बताया कि डॉक्टर के पास से मिला असलहा वास्तव में लाइटर निकला, फिर भी घटना की सभी पहलुओं पर जांच चल रही है। चौकी इंचार्ज की लापरवाही को लेकर स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश है।
माहुल की सड़कों पर हुआ यह ‘दिनदहाड़े द्वंद्व युद्ध’ अब पुलिस की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल छोड़ गया है — जब चौकी से महज 400 मीटर दूरी पर डॉक्टर सुरक्षित नहीं, तो आम जनता कितनी सुरक्षित है?
