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आजमगढ़ की बेटी अनामिका पांडेय ने यूपीएससी में हासिल की 579वीं रैंक, तीसरे प्रयास में रचा सफलता का इतिहास

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आजमगढ़ की बेटी अनामिका पांडेय ने यूपीएससी में हासिल की 579वीं रैंक, तीसरे प्रयास में रचा सफलता का इतिहास

आजमगढ़। जिले के हरबंशपुर स्थित सर्वोदय पब्लिक स्कूल की पूर्व छात्रा अनामिका पांडेय ने अपने मेहनत और समर्पण के दम पर देश की सबसे कठिन मानी जाने वाली परीक्षा यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2024 में शानदार प्रदर्शन करते हुए 579वीं रैंक प्राप्त की है। यह अनामिका का तीसरा प्रयास था, जिसमें उन्होंने न केवल सफलता हासिल की, बल्कि जिले और विद्यालय का भी नाम रोशन किया।

अनामिका की इस सफलता से न सिर्फ उनके परिवार में खुशी की लहर है, बल्कि पूरे क्षेत्र में भी गर्व की भावना व्याप्त है। अनामिका की सफलता की कहानी सिर्फ एक परीक्षा पास करने की नहीं, बल्कि संघर्ष, धैर्य और दृढ़ संकल्प की मिसाल है।

पारिवारिक पृष्ठभूमि से मिली प्रेरणा

अनामिका के पिता ओमप्रकाश पांडेय पुलिस विभाग में हेड कांस्टेबल के पद पर कार्यरत थे। ड्यूटी के दौरान अंबेडकर नगर में हुए एक हादसे में गंभीर रूप से घायल होने के बाद उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) ले ली। इसके बाद उन्होंने अपने बच्चों की शिक्षा पर पूरा ध्यान केंद्रित किया। उनकी मां सीमा पांडेय एक गृहणी हैं, जिन्होंने हमेशा परिवार को संभालते हुए बच्चों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

गाजीपुर के मूल निवासी ओमप्रकाश पांडेय ने बेहतर शिक्षा के लिए आजमगढ़ को अपना स्थायी ठिकाना बनाया। अनामिका तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। उनके एक छोटे भाई और एक छोटी बहन हैं। परिवार ने हमेशा अनामिका को हर मोड़ पर प्रोत्साहित किया, चाहे वह पढ़ाई हो या करियर का चुनाव।

शुरुआती शिक्षा से लेकर इंजीनियरिंग तक का सफर

अनामिका की प्रारंभिक शिक्षा आजमगढ़ के हरबंशपुर स्थित सर्वोदय पब्लिक स्कूल में हुई, जहां उन्होंने 10वीं और 12वीं की परीक्षा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण की। 2016 में 12वीं पास करने के बाद उन्होंने मथुरा स्थित GLA यूनिवर्सिटी से केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। वर्ष 2020 में बीटेक पूरा करने के बाद उन्होंने सिविल सेवा में करियर बनाने का निर्णय लिया।

यूपीएससी की कठिन राह और तीन प्रयासों की कहानी

बीटेक के बाद अनामिका ने यूपीएससी की तैयारी शुरू की। सितंबर 2021 में वह दिल्ली गईं और वहां एक प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थान में दाखिला लिया। हालांकि, उनका आजमगढ़ आना-जाना लगातार बना रहा। पहले प्रयास में उन्हें सफलता नहीं मिली, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। दूसरे प्रयास में उन्होंने प्रारंभिक परीक्षा (प्रिलिम्स) पास कर ली, मगर मुख्य परीक्षा (मेन) में चयन नहीं हो सका।

तीसरे प्रयास में उन्होंने अपने पिछले अनुभवों से सीखते हुए बेहतर रणनीति अपनाई। लगातार अध्ययन, सटीक योजना और आत्मविश्वास ने उन्हें इस बार सफलता दिलाई। उन्होंने न केवल प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा पास की, बल्कि साक्षात्कार में भी बेहतर प्रदर्शन करते हुए 579वीं रैंक हासिल की।

संघर्ष से सफलता तक का सफर

अनामिका कहती हैं, “यह सफर आसान नहीं था। कई बार लगा कि शायद यह मुझसे नहीं होगा, लेकिन हर बार खुद को समझाया कि एक कोशिश और करनी है। मेरे माता-पिता ने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया, खासकर जब असफलता मिली तब भी उन्होंने मुझे कमजोर नहीं पड़ने दिया।”

अनामिका आगे कहती हैं कि यूपीएससी सिर्फ पढ़ाई नहीं, बल्कि आत्म-विश्वास, अनुशासन और धैर्य की परीक्षा है। उनका मानना है कि किसी भी क्षेत्र से आने वाला विद्यार्थी यदि सही मार्गदर्शन और निरंतर अभ्यास करे तो वह सिविल सेवा में सफलता पा सकता है।

स्थानीय लोगों में खुशी की लहर

अनामिका की सफलता की खबर जैसे ही क्षेत्र में फैली, शुभकामनाओं का तांता लग गया। सर्वोदय पब्लिक स्कूल के शिक्षकों और साथियों ने इस पर गर्व जताया और विद्यालय में जश्न का माहौल बन गया। स्कूल के प्राचार्य ने कहा, “अनामिका ने विद्यालय और पूरे जिले का नाम रोशन किया है। यह आजमगढ़ के युवाओं के लिए प्रेरणादायी क्षण है।”

आगे की योजना

अनामिका का लक्ष्य एक जिम्मेदार और संवेदनशील प्रशासनिक अधिकारी बनना है। वह ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण और शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान देना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि वह अपने अनुभव और संघर्ष से सीखी बातों को समाज की बेहतरी के लिए प्रयोग करना चाहती हैं।

अनामिका पांडेय की कहानी यह बताती है कि कठिन से कठिन लक्ष्य भी अटूट मेहनत, सकारात्मक सोच और परिवार के सहयोग से हासिल किए जा सकते हैं। आजमगढ़ की यह बेटी न केवल युवाओं के लिए प्रेरणा बनी हैं, बल्कि इस बात की मिसाल भी हैं कि सपनों को सच करने के लिए संघर्ष से पीछे नहीं हटना चाहिए।

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