बलिया जिले के दुबहड़ थाना क्षेत्र के कछुआ गांव में ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के निर्माण कार्य पर उस वक्त ब्रेक लग गया, जब सैकड़ों ग्रामीणों ने एकजुट होकर निर्माण स्थल पर धरना शुरू कर दिया। ग्रामीणों की स्पष्ट मांग है – “हमें अंडरपास चाहिए, वरना निर्माण नहीं होने देंगे।”
एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य वर्तमान में युद्धस्तर पर चल रहा है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यह परियोजना उनके गांव को दो हिस्सों में बांट रही है, जिससे न केवल उनकी रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हो रही है, बल्कि भविष्य में किसानों, स्कूली बच्चों और अन्य आम नागरिकों के लिए भारी दिक्कतें खड़ी होंगी।
धरने पर बैठे ग्रामीणों ने क्या कहा?
कछुआ गांव के सैकड़ों ग्रामीणों ने सड़क पर जेसीबी, पानी के टैंकर और अन्य निर्माण कार्य में लगी भारी मशीनों को रोक दिया और वहीं धरना शुरू कर दिया। प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि उन्होंने राज्य के परिवहन मंत्री, मुख्यमंत्री, गृह मंत्री तक को पत्र लिखा, बलिया के जिलाधिकारी और एक्सप्रेसवे प्राधिकरण के अधिकारियों से भी कई बार मुलाकात की, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई।
प्रभावित हो रही है 25,000 से अधिक की आबादी
ग्रामीणों का आरोप है कि ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे दर्जनों गांवों की जीवनरेखा को काट रहा है। कोई भी वैकल्पिक रास्ता नहीं छोड़ा जा रहा है, जिससे लगभग 25,000 से अधिक की आबादी सीधा प्रभावित हो रही है। किसानों को अपने खेतों तक पहुंचने में कठिनाई होगी, स्कूली बच्चों को दूर-दूर तक घूमकर स्कूल जाना पड़ेगा और आपातकालीन सेवाएं भी बाधित हो सकती हैं।
मांगें पूरी न होने पर भूख हड़ताल की चेतावनी
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि जब तक उन्हें उनके गांव के लिए अंडरपास या अन्य वैकल्पिक रास्ता नहीं दिया जाता, वे न सिर्फ निर्माण रोकेंगे, बल्कि अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर भी बैठ सकते हैं।
प्रशासन की चुप्पी बनी चिंता का कारण
इस पूरे मामले में अब तक प्रशासन की कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है, जिससे ग्रामीणों में गहरी नाराज़गी है। एक्सप्रेसवे जैसी बड़ी परियोजना में आमजन की जरूरतों की अनदेखी, आने वाले समय में बड़ी सामाजिक समस्या बन सकती है।
फिलहाल, कछुआ गांव में एक्सप्रेसवे का कार्य ठप पड़ा है और ग्रामीण अपने हक की लड़ाई में डटे हुए हैं।