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महाकुंभ हादसे को लेकर सांसद चंद्रशेखर ने सरकार को घेरा, इस्तीफे की मांग की….!

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प्रयागराज महाकुंभ त्रासदी पर विपक्ष का हमला: योगी सरकार घिरी सवालों के घेरे में

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में मची भगदड़ के बाद राज्य की योगी सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है। भगदड़ में 17 तीर्थयात्रियों की मौत और सैकड़ों के घायल होने की खबर ने पूरे राज्य को हिला दिया है। इस घटना के बाद नगीना से सांसद और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के नेता चंद्रशेखर आजाद ने योगी सरकार से इस्तीफा मांगते हुए उसे असंवेदनशील और अक्षम बताया।

चंद्रशेखर आजाद का बयान

चंद्रशेखर आजाद ने सोशल मीडिया साइट X पर तीखे शब्दों में सरकार की आलोचना की। उन्होंने लिखा, “मैंने सोचा था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, जो लंबे समय तक धार्मिक कार्यों से जुड़े रहे, कम से कम धार्मिक आयोजनों को सुव्यवस्थित ढंग से संपन्न करवा पाएंगे। लेकिन यहां भी निराशा ही हाथ लगी। योगी सरकार ने तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया, जिससे यह भीषण त्रासदी हुई।”

त्रासदी का दर्दनाक विवरण

सांसद ने इस हादसे को घोर लापरवाही और प्रशासनिक कुप्रबंधन का नतीजा बताया। उनके अनुसार, भगदड़ से हुई मौतें और सैकड़ों घायलों की स्थिति राज्य सरकार की विफलताओं को दर्शाती है। उन्होंने कहा, “यह केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि सरकारी विफलता का घिनौना उदाहरण है। इतने बड़े धार्मिक आयोजन में इस स्तर की अव्यवस्था और अराजकता साबित करती है कि सरकार की प्राथमिकता केवल इवेंट मैनेजमेंट और फोटोशूट तक सीमित रह गई है।”

शोक और संवेदनाएं

चंद्रशेखर आजाद ने त्रासदी के शिकार परिवारों के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त कीं। उन्होंने लिखा, “प्रयागराज कुंभ मेले में भगदड़ से 17 तीर्थयात्रियों की मौत और सैकड़ों के घायल होने की खबर दर्दनाक और क्रोधित करने वाली है। शोकाकुल परिवारों के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं, उन्हें यह असीम दुख सहने की शक्ति प्राप्त होने और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं।”

अस्पतालों की बदहाली पर सवाल

सांसद ने अस्पतालों की दुर्दशा पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “यहां अस्पतालों की बदहाली भी कम शर्मनाक नहीं है। ना बेड, ना कोई सुविधा, संसाधनों की भारी कमी और घायलों को उचित इलाज की दिक्कत यह साबित करती है कि सरकार की प्राथमिकता कभी भी लोगों की भलाई नहीं रही। घायल यात्रियों को न तो समय पर चिकित्सा मिल रही है, न ही समुचित इलाज।”

सांसद की चार प्रमुख मांगें

चंद्रशेखर आजाद ने सरकार से चार प्रमुख मांगें की हैं:

  1. घायलों के लिए सर्वोत्तम चिकित्सा उपलब्ध करवाई जाए और सभी का निशुल्क इलाज हो।
  2. मृतकों के परिजनों को 1-1 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए।
  3. घटना के ज़िम्मेदार अधिकारियों और प्रशासनिक तंत्र पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
  4. भविष्य में ऐसे आयोजनों में आपदा प्रबंधन और सुरक्षा के कड़े उपाय सुनिश्चित किए जाएं।

विपक्ष का आरोप: प्राथमिकता प्रचार पर

चंद्रशेखर आजाद ने आरोप लगाया कि सरकार तीर्थयात्रियों की सुविधा और सुरक्षा पर ध्यान देने के बजाय प्रचार और दिखावे में व्यस्त थी। उन्होंने कहा, “यह त्रासदी सरकार की घोर लापरवाही, अक्षम प्रशासन और कुप्रबंधन का प्रत्यक्ष प्रमाण है। सरकार का ध्यान तीर्थयात्रियों की सुविधा व सुरक्षा पर कम और प्रचार व दिखावे पर अधिक था, जिसका खामियाजा निर्दोष लोगों को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा।”

योगी सरकार पर इस्तीफे का दबाव

उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस्तीफा मांगते हुए कहा, “इस त्रासदी ने योगी सरकार के खोखले दावों की पोल खोल दी है। धार्मिक आयोजनों को राजनीतिक मंच बनाना और तीर्थयात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़ करना अक्षम्य अपराध है। अगर सरकार अपनी ज़िम्मेदारी निभाने में असमर्थ है, तो उसे सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं।”

घटना की पृष्ठभूमि

प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व रखता है। इस बार भी लाखों श्रद्धालु गंगा और संगम में स्नान के लिए पहुंचे थे। लेकिन अव्यवस्थित प्रबंधन और सुरक्षा की कमी के कारण भगदड़ मच गई। तीर्थयात्रियों की सुरक्षा को लेकर पहले भी प्रशासन को चेतावनी दी गई थी, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया।

सरकार की प्रतिक्रिया

सरकार की ओर से अब तक इस घटना पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जांच के आदेश दिए हैं और अधिकारियों को दोषियों पर कार्रवाई का निर्देश दिया है। लेकिन विपक्ष इस कदम को नाकाफी मान रहा है।

विपक्ष की रणनीति

इस त्रासदी के बाद विपक्ष ने योगी सरकार को घेरने की पूरी तैयारी कर ली है। चंद्रशेखर आजाद के अलावा समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और अन्य दलों के नेताओं ने भी इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना की है।

आगे की चुनौतियां

यह घटना योगी सरकार के लिए बड़ा राजनीतिक संकट साबित हो सकती है। विपक्ष इसे 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार की नाकामी के उदाहरण के रूप में पेश कर सकता है। अब यह देखना होगा कि सरकार इस चुनौती का सामना कैसे करती है और प्रभावित परिवारों को न्याय दिलाने के लिए क्या कदम उठाती है।

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