मौनी अमावस्या स्नान के दौरान भगदड़ से हादसा
लखनऊ: प्रयागराज महाकुंभ मेला 2025 के दौरान मौनी अमावस्या के स्नान से पहले संगम पर भगदड़ में कई लोग घायल हो गए। घटनास्थल पर अफरा-तफरी मचने से श्रद्धालुओं में भय और बेचैनी का माहौल है। घायलों को तत्काल अस्पताल ले जाया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है। प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए राहत और बचाव कार्य तेज कर दिए हैं।
हादसे पर विपक्ष का तीखा वार
इस हादसे के बाद विपक्ष ने योगी आदित्यनाथ की सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस घटना को गंभीर प्रशासनिक विफलता करार दिया। उन्होंने मांग की कि महाकुंभ का प्रशासन और प्रबंधन तत्काल सेना को सौंप दिया जाए ताकि श्रद्धालुओं और संत समाज में विश्वास बहाल हो सके।
अखिलेश यादव ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर पोस्ट किया: “महाकुंभ में आए संत समाज और श्रद्धालुओं में व्यवस्था के प्रति पुनर्विश्वास जगाने के लिए यह आवश्यक है कि उत्तर प्रदेश शासन-प्रशासन के स्थान पर महाकुंभ का प्रशासन और प्रबंधन तत्काल सेना को सौंप दिया जाए। ‘विश्वस्तरीय व्यवस्था’ करने के दावे की सच्चाई अब सबके सामने आ गई है। ऐसे में जिन लोगों ने इस मिथ्या प्रचार को बढ़ावा दिया था, उन्हें नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए।”
घटना के बाद अखिलेश यादव का विस्तृत बयान
इससे पहले अखिलेश यादव ने इस हादसे पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि महाकुंभ में अव्यवस्थाजन्य हादसे में श्रद्धालुओं के हताहत होने का समाचार अत्यंत दुखद है। उन्होंने सरकार से अपील की कि गंभीर रूप से घायलों को एअर एंबुलेंस की मदद से निकटतम सर्वश्रेष्ठ अस्पतालों तक पहुंचाया जाए।
“मृतकों के शवों को चिन्हित करके उनके परिजनों को सौंपने और उन्हें उनके निवास स्थान तक भेजने का प्रबंध किया जाए। जो लोग बिछड़ गए हैं, उन्हें मिलाने के लिए त्वरित प्रयास किए जाएं। हेलीकॉप्टर का सदुपयोग करते हुए निगरानी बढ़ाई जाए,” उन्होंने कहा।
अखिलेश यादव ने आगे कहा, “सतयुग से चली आ रही ‘शाही स्नान’ की अखंड-अमृत परंपरा को निरंतर रखते हुए, राहत कार्यों के समानांतर सुरक्षित प्रबंधन के बीच मौनी अमावस्या के शाही स्नान को संपन्न कराने की व्यवस्था की जाए। श्रद्धालुओं से भी अपील है कि वे इस कठिन समय में संयम और धैर्य से काम लें।”
विपक्ष के आरोप और सरकार की प्रतिक्रिया
अखिलेश यादव और अन्य विपक्षी दलों द्वारा सरकार पर लगाए गए आरोपों के बीच, योगी सरकार ने घटना पर अपनी सफाई दी है। एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि प्रशासन स्थिति पर कड़ी नजर रखे हुए है और राहत कार्य तेजी से चल रहे हैं। उन्होंने कहा, “सरकार हादसे से प्रभावित सभी लोगों को हरसंभव मदद पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है।”
प्रशासन की तैयारी पर सवाल
महाकुंभ 2025 के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने विश्वस्तरीय सुविधाएं और व्यवस्थाएं करने का दावा किया था। इस आयोजन को सफल बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए गए और बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार किया गया। बावजूद इसके, मौनी अमावस्या स्नान जैसे महत्वपूर्ण अवसर पर हुई अव्यवस्था ने प्रशासन की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि इतने बड़े आयोजन में भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होने चाहिए थे। संगम जैसे संवेदनशील स्थान पर भीड़ प्रबंधन में चूक होना एक बड़ी विफलता मानी जा रही है।
संत समाज और श्रद्धालुओं की प्रतिक्रिया
हादसे के बाद संत समाज और श्रद्धालुओं में भी गहरी नाराजगी देखी गई। कई श्रद्धालुओं ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया। एक श्रद्धालु ने कहा, “हम यहां पूजा और स्नान के लिए आए थे, लेकिन ऐसी अव्यवस्था देख कर दुख हुआ।” संत समाज ने भी इस घटना को चिंताजनक बताते हुए सरकार से त्वरित कदम उठाने की मांग की है।
राहत कार्यों में तेजी
प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में लाने और प्रभावित लोगों की मदद के लिए कई कदम उठाए हैं। राहत और बचाव कार्यों में एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) और स्थानीय पुलिस की टीमों को तैनात किया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने आपातकालीन सेवाओं को सक्रिय कर दिया है और घायलों को सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधाएं देने की कोशिश की जा रही है।
कुंभ मेले की ऐतिहासिक महत्ता
महाकुंभ मेला हिंदू धर्म में एक विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जो हर 12 वर्षों में आयोजित होता है। इस मेले में लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करने आते हैं, जिसे मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है। इस आयोजन की ऐतिहासिक महत्ता को देखते हुए सरकारों द्वारा विशेष व्यवस्थाएं की जाती हैं।
आगे की चुनौतियां
इस घटना ने सरकार के लिए कई नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं।
- श्रद्धालुओं का विश्वास बहाल करना: संत समाज और श्रद्धालुओं में भरोसा कायम करना प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
- भविष्य की रणनीति: महाकुंभ के आगामी प्रमुख स्नान पर्वों के लिए भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा उपायों को और मजबूत करना होगा।
- जवाबदेही तय करना: इस घटना के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और प्रबंधकों पर कार्रवाई की मांग तेज हो गई है।
- राजनीतिक दबाव: विपक्ष इस घटना को लेकर सरकार पर लगातार हमले कर रहा है, जिससे योगी सरकार को राजनीतिक दबाव का सामना करना पड़ रहा है।
प्रयागराज महाकुंभ मेला 2025 के मौनी अमावस्या स्नान के दौरान हुई भगदड़ ने न केवल प्रशासनिक व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है, बल्कि एक बड़े धार्मिक आयोजन की सुरक्षा और प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वह न केवल इस घटना से सबक ले, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाए। श्रद्धालुओं की सुरक्षा और उनकी आस्था का सम्मान सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।