कन्नौज, उत्तर प्रदेश — कन्नौज जिले में अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत निर्माणाधीन रेलवे स्टेशन पर बड़ा हादसा हो गया। सोमवार को स्टेशन के लिंटर के अचानक गिर जाने से लगभग 35 मजदूर मलबे के नीचे दब गए। इस दुर्घटना ने निर्माण सुरक्षा और मानकों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। घटना के बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई। पुलिस और प्रशासन ने तत्काल राहत और बचाव कार्य शुरू किया।
तीन मजदूरों की हालत नाजुक
सूत्रों के अनुसार, मलबे से निकाले गए घायलों में तीन की हालत अत्यंत गंभीर है। उन्हें तुरंत जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका उपचार किया जा रहा है। डॉक्टरों ने उनकी हालत को देखते हुए विशेष देखरेख में रखा है।
12 एम्बुलेंस मौके पर
घटना की गंभीरता को देखते हुए मौके पर 12 एम्बुलेंस पहुंचीं, जो घायलों को अस्पताल पहुंचाने में लगी हुई हैं। नगर पालिका के 50 से अधिक कर्मचारी राहत कार्य में जुटे हुए हैं।
मंत्री असीम अरुण ने संभाला मोर्चा
घटना की सूचना मिलते ही प्रदेश के राज्यमंत्री असीम अरुण घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने घायलों के उपचार के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया और राहत कार्यों की प्रगति का जायजा लिया। उन्होंने कहा, “सरकार घायलों के इलाज और सुरक्षा उपायों को प्राथमिकता दे रही है। इस हादसे की जांच के आदेश दिए गए हैं।”
निर्माण सुरक्षा पर सवाल
यह हादसा अमृत भारत स्टेशन योजना के अंतर्गत हो रहे निर्माण के दौरान हुआ, जो रेलवे स्टेशन को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने की योजना है। लेकिन इस दुर्घटना ने निर्माण में इस्तेमाल की गई सामग्री और प्रक्रियाओं की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मजदूरों के परिवारों में चिंता
घटना की खबर सुनते ही मजदूरों के परिवारों में चिंता की लहर दौड़ गई। परिजन घटनास्थल और अस्पतालों की ओर दौड़ पड़े। कई लोगों ने प्रशासन और ठेकेदार पर लापरवाही का आरोप लगाया है। एक मजदूर के परिजन ने कहा, “निर्माण कार्य के दौरान सुरक्षा उपायों को अनदेखा किया गया, जिसके कारण यह हादसा हुआ।”
प्रशासन ने जांच के आदेश दिए
कन्नौज जिले के जिलाधिकारी ने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा, “दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।”
राहत कार्य में देरी का आरोप
हालांकि पुलिस और प्रशासन मौके पर राहत कार्य में जुटे हैं, लेकिन स्थानीय निवासियों और मजदूर संगठनों ने बचाव कार्य में देरी का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि पर्याप्त उपकरणों और संसाधनों की कमी के कारण मजदूरों को समय पर नहीं निकाला जा सका।
इस घटना के बाद से निर्माण स्थलों पर सुरक्षा मानकों की समीक्षा और उन्हें सख्ती से लागू करने की मांग उठ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि बड़े निर्माण प्रोजेक्ट्स में सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन अनिवार्य है। उचित निरीक्षण और उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग इस तरह की दुर्घटनाओं को रोक सकता है।
कन्नौज स्टेशन पर हुए इस हादसे ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। रेलवे और प्रशासन की प्राथमिकता अब घायलों का इलाज और मलबे में फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकालना है। इस घटना की गहराई से जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है।