वाराणसी पहुंचे दक्षिण भारतीय ने किया सुसाइड: तुलसी घाट पर मिला शव, सुसाइड नोट में लिखा – ‘मैं गंगा में अपना शरीर त्यागना चाहता हूं’
“गंगा च गञ्जा च पापा मेव च कुर्वे चपन्येत्यानि मुक्तिभिहि कर्त्रम्”
वाराणसी के ऐतिहासिक तुलसी घाट पर एक 65 वर्षीय दक्षिण भारतीय व्यक्ति का शव मिलने से सनसनी फैल गई। मृतक का नाम श्रीनिवास मूर्ति था, जो नेहरू कॉलोनी, वेलारी, कर्नाटक के निवासी थे। श्रीनिवास अपने पुत्र सिद्धार्थ के साथ काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन और पूजन करने के लिए वाराणसी आए थे। इस दुखद घटना ने श्रद्धालुओं और स्थानीय निवासियों को गहरे सदमे में डाल दिया है।
घटना का खुलासा कैसे हुआ
सिद्धार्थ ने अपने पिता के गायब होने की सूचना स्थानीय पुलिस को दी थी। जब पुलिस ने मामले की तहकीकात शुरू की, तो उन्होंने सबसे पहले श्रीनिवास के मोबाइल नंबर का लोकेशन ट्रेस किया। यह लोकेशन अस्सी घाट के पास दिखा। खोजबीन के दौरान पुलिस ने जिस होटल में वे ठहरे हुए थे, उसकी भी जांच की, लेकिन होटल का कमरा बंद पाया गया। इसके बाद पुलिस ने सिद्धार्थ से संपर्क किया, तब उसने बताया कि उसके पिता ने एक सुसाइड नोट भी भेजा था।
सुसाइड नोट में क्या लिखा था
श्रीनिवास मूर्ति के द्वारा लिखे गए सुसाइड नोट ने सभी को भावुक कर दिया। उन्होंने लिखा, “अब मैं गंगा में अपना शरीर त्यागना चाहता हूं।” इस कथन से उनकी मन:स्थिति और भावनात्मक तनाव का अंदाजा लगाया जा सकता है।
एनडीआरएफ ने शव बरामद किया
घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस ने तुरंत एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) की मदद से तुलसी घाट पर सर्च ऑपरेशन शुरू किया। करीब दो घंटे की गहन खोज के बाद श्रीनिवास मूर्ति का शव गंगा नदी से बरामद किया गया। शव के पास से उनका मोबाइल फोन और कुछ व्यक्तिगत सामान भी मिला।
पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर परिवार को सूचना दी। पोस्टमार्टम के लिए शव को भेज दिया गया है, जिससे मौत के कारणों की पुष्टि हो सके। पुलिस ने यह भी बताया कि सुसाइड नोट, मोबाइल फोन और अन्य दस्तावेजों को जांच के लिए सुरक्षित रखा गया है।
परिवार पर गहरा दुख
मृतक श्रीनिवास मूर्ति के परिवार पर इस घटना ने गहरा असर डाला है। उनका पुत्र सिद्धार्थ गहरे शोक में है और उसने अपने पिता की अचानक मृत्यु पर गहरी पीड़ा व्यक्त की है। वह यह समझने में असमर्थ है कि उसके पिता ने आत्महत्या जैसा कदम क्यों उठाया।
गंगा नदी को हिंदू धर्म में पवित्रता और मोक्ष की प्रतीक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि गंगा में अंतिम यात्रा करने से आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है। संभवतः श्रीनिवास मूर्ति के इस कदम के पीछे धार्मिक आस्था भी एक कारण हो सकती है। हालांकि, यह भी स्पष्ट है कि उनकी मानसिक स्थिति में किसी प्रकार की समस्या थी, जो उन्हें इस ओर ले गई।
आत्महत्या के बढ़ते मामले और जागरूकता
इस घटना ने एक बार फिर मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक समर्थन की आवश्यकता को उजागर किया है। आत्महत्या के मामलों में बढ़ोतरी चिंता का विषय है, और इस दिशा में परिवार, समाज, और प्रशासन को मिलकर काम करने की जरूरत है। मनोवैज्ञानिक सहायता और भावनात्मक समर्थन से ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है।
श्रीनिवास मूर्ति की दुखद मृत्यु ने पूरे वाराणसी शहर को झकझोर कर रख दिया है। यह घटना न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि यह एक चेतावनी भी है कि मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। पुलिस मामले की जांच कर रही है, और परिवार को न्याय और सांत्वना प्रदान करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।