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AMU पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले से आजमगढ़ में खुशी की लहर…

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आजमगढ़ :- अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ओल्ड बॉयज एसोसिएशन के अध्यक्ष मशहूर हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ0 जावेद ने सुप्रीम कोर्ट के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को लेकर दिए गए फैसले पर ख़ुशी ज़ाहिर किया। इस दौरान अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष और आजमगढ़ के गोपालगंज विधानसभा से विधायक नफीस अहमद समेत यूनिवर्सिटी में नए – पुराने सभी छात्र मौजूद रहे और एक दुसरे को मिठाई खिलाते हुए अपनी खुशियों का इज़हार किया . इस मौके पर डॉ0 जावेद ने कहाकि ये किसी की हार और जीत का मामला नहीं है। दरअसल तस्वीर को गलत ढ़ंग से पेश किया जाता है । अगर राजनीति को छोड़ दिया जाय तो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से न ही कभी किसी हिन्दू – भाई को ..और न ही किसी मुस्लिम को कोई शिकायत रही है। इस यूनिवर्सिटी को सिर्फ तालीम के लिए ही बनाया गया है . वहीँ विधायक व पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष नफीस अहमद ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए कहाकि आज का दिन हम सभी के लिए बड़ा दिन है , आगे और भी इम्तेहान है।

बता दें की आज अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने एक नया मोड़ ले लिया है। सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच ने 4:3 के बहुमत से 1967 के अजीज बाशा केस के फैसले को पलट दिया, जिसमें कहा गया था कि केंद्रीय कानून के तहत बने संस्थान को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता।
अब इस विवाद को तीन जजों की नई बेंच को सौंपा गया है। यह बेंच इस सवाल का जवाब तलाशेगी कि AMU की स्थापना का मूल उद्देश्य क्या था और क्या यह अल्पसंख्यकों द्वारा स्थापित एक संस्थान के रूप में अल्पसंख्यक दर्जे का दावा कर सकता है। CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने तीन जजों की बेंच को निर्देश दिया कि वे इस बात की जांच करें कि क्या AMU की स्थापना में अल्पसंख्यक समुदाय की प्रमुख भूमिका थी।
यह विवाद विशेष रूप से 2005 में उभरा जब AMU ने अपने मेडिकल पाठ्यक्रमों में 50% सीटें मुस्लिम छात्रों के लिए आरक्षित कीं। इसके खिलाफ एक याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर की गई थी, जिसने AMU को अल्पसंख्यक संस्थान मानने से इनकार कर दिया। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा, जिसने इसे पहले 7 जजों की बेंच को और अब नई 3 जजों की बेंच को सौंप दिया है।
संविधान का अनुच्छेद 30 अल्पसंख्यक समुदायों को अपने शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उनके संचालन का अधिकार देता है। बेंच अब यह तय करेगी कि क्या AMU इस अनुच्छेद के तहत अल्पसंख्यक दर्जे का हकदार है।

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