जनवादी लेखक संघ इकाई आजमगढ़ द्वारा हिंदी पखवाड़े के उपलक्ष्य में एक गोष्ठी का आयोजन प्रतिभा श्रीवास्तव के आवास भंवरनाथ किया गया। यह गोष्ठी “रोजगार, ज्ञान विमर्श और कार्य व्यवहार की भाषा के रुप में हिंदी का वर्तमान और भविष्य” विषय पर आधारित रही। कार्यक्रम का संचालन कर रहे जलवायु पत्रिका के संपादक डॉ अजय गौतम ने कहा कि हिन्दी ने विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार रास्ते खोलें हैं। हिन्दी भाषा में साहित्य, कहानी, कविता और उपन्यास के अलावा अन्य विषयों विज्ञान, भूगोल, अर्थशास्त्र, प्रबंधन आदि विषयों पर मूल रूप से रचनाएं करने की जरूरत है। कार्यक्रम का प्रारंभ शायर आदित्य आज़मी की ग़ज़ल से हुआ। युवा साथी सत्यम प्रजापति ने कहा कि किसी भाषा का विरोध न हो। सभी भाषाएं महत्वपूर्ण हैं। प्रतिभा श्रीवास्तव ने कहा कि हिन्दी में रोज़गार की समस्या बनी है लेकिन सोशल मीडिया ने रोज़गार के नए रास्ते खोलें हैं। CIB न्यूज के ब्यूरो वसीम अकरम ने कहा कि नई पीढ़ी को शमिल किए बिना हिन्दी का विकास संभव नहीं है। डाक्टर अम्बरीष श्रीवास्तव ने कहा कि हिन्दी का व्यापक प्रचार प्रसार नहीं किया गया है और हिन्दी के साथ दोहरा व्यवहार किया जाता है। ज्ञानेंद्र मिश्र ने हिन्दी के इतिहास और और रोजगार पर प्रकाश डाला।
इस आयोजन के मुख्य वक्ता संतोष चौबे ने कहा कि व्यक्ति अपनी भाषा में बिना जज्बाती हुए बात नहीं की जाती है। उन्होने ज्ञान विज्ञान के पुस्तकों के अनुवाद को महत्वपूर्ण बताया। इस लेन देन से भाषा समृद्ध होती है। भावनात्मकता से नही बल्कि तर्क से बदलाव आएगा। उन्होंने कहा कि आज भी लोकतंत्र की भाषा भले ही हिन्दी हो परन्तु सत्ता की भाषा अंग्रेजी ही है।
अन्त में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अरुण मौर्य ने सभी साथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
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