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अधिवक्ताओं को श्यामकुमार उत्तम स्मृति सम्मान से किया गया सम्मानित

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फतेहपुर :-  संविधान दिवस पर उत्तम सेवा संस्थान ट्रस्ट की ओर से अंबेडकर पार्क कलेक्ट्रेट में उत्सव मनाया गया। अधिवक्ताओं को जहां श्यामकुमार उत्तम स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया वहीं उपस्थित कवियों ने एक से बढ़कर एक रचनाएं प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। हास्य के धमाकेदार कवि प्रयागराज से आए अशोक बेशरम ने पढ़ा ‘‘भीख मांगे जो अदाकारी से, बचके रहना तुम उस भिखारी से’’।
कार्यक्रम का शुभारंभ सीओ सिटी संजय कुमार सिंह ने दीप प्रज्जवलित कर व बाबा साहब अंबेडकर की मूर्ति पर पुष्प अर्पित कर किया। कार्यक्रम के प्रेरणास्रोत कीर्तिशेष एडवोकेट श्याम कुमार उत्तम के चित्र पर पुष्पार्चन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। वरिष्ठ अधिवक्ता पीयूष खन्ना, नरेंद्र चन्द्र जैन, भरत मान सिंह, शिक्षक बीरबल सिंह यादव, अम्बिका प्रसाद गुप्त, समाजसेवी डॉ देवेंद्र श्रीवास्तव, स्मिता सिंह चौहान, साहित्यकार क़मर सिद्दीक़ी को एड. श्यामकुमार उत्तम स्मृति सम्मान से सम्मानित किया। ट्रस्ट की ओर से एडवोकेट वसीम अंसारी एवं सुरेश सचान ने सभी को अंगवस्त्र, प्रतीक चिन्ह एवं संविधान की पुस्तक भेंट की। ट्रस्ट के प्रवक्ता एवं प्रकल्प प्रभारी साहित्यकार प्रवीण श्रीवास्तव प्रसून ने बताया कि ट्रस्ट स्वास्थ्य एवं शिक्षा से संबंधित सेवाओं का लाभ गरीबों तक निःशुल्क पहुंचाने का कार्य करता है। संविधान के प्रति आस्था प्रकट करने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष यह कार्यक्रम किया जाता रहा है। ट्रस्ट प्रबन्धक संदीप उत्तम ने कहा कि चार गांवों को गोद लेकर कोविड-19 की जागरुकता और वैक्सीनेशन संबंधित गतिविधियों में भी ट्रस्ट सक्रिय भूमिका निभा रहा है। विभिन्न वक्ताओं ने अपने उद्बोधन में संविधान के महत्व पर प्रकाश डाला। संविधान की उद्देशिका का वाचन किया एवं फतेहपुर गौरव गीत को गाकर जिले के मान बिन्दुओं को याद किया। दूसरे सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें लोगों ने जमकर आनन्द लिया। अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ छंदकार मधुसूदन दीक्षित ने पढ़ा संस्कृति के मानबिंदु जो कि इस राष्ट्र में हैं, सबके ही द्वारा सम्मान होना चाहिए। इटावा से आए वीर रस के कवि महेश मंगल ने पढ़ा ‘‘तुम्हारे कान बहरे हैं कहूँ तो क्या सुनोगे तुम, रहूँ खामोश भी कैसे ग़लत रस्ता चुनोगे तुम, अभी भी वक्त है संभलो नहीं तो हाल वो होगा, सियासी मंडियों में मोल माटी के बिकोगे तुम।’’ अवधी लोकभाषा के धुरंधर हास्य कवि समीर शुक्ला ने कुछ यूं पंक्तियां पढ़ के मन मोह लिया ‘‘मोरे भारत का गंगा अगम लहराय, हे मइया तोरी नेहिया मे जियरा जुड़ाय।’’ इसी प्रकार उन्नाव से आए कवि सुरेश फक्कड़, गीतकार नवीन शुक्ल नवीन, प्रखर श्रीवास्तव, प्रयागराज से आये मधुर कंठ के प्रसिद्ध गीतकार जितेंद्र जलज ने भी अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। अंत में राष्ट्रगान और भारत माता की जय और वन्देमातरम उद्घोष के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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