उत्तर प्रदेश शासन और राजभवन की ओर से शिब्ली नेशनल कालेज के विरुद्ध लगातार हो रहे जांच आदेशों से शिब्ली कालेज इन दिनों मीडिया की सुर्खियों में है। जिससे भ्रष्टाचार और कदाचार के गंभीर आरोपों की ज़द में शिबली कालेज आजमगढ़ की लगभग 55 सहायक प्रोफेसरों की भर्तियां अब फंसती नज़र आ रही हैं। क्यों कि जो नियुक्तियां प्रबंध समिति और चयन समिति द्वारा की गयी हैं, उनका भी अनुमोदन विश्वविद्यालय स्तर पर लंबित चल रहा है। क्योंकि राजभवन के आदेश पर कुलपति को स्वयं इन नियुक्तियों की जांच करनी हैं।
बताते चलें कि शिब्ली कालेज की सहायक प्रोफेसर की नियुक्तियों में भ्रष्टाचार की गंभीर शिकायतें विभिन्न व्यक्तियों द्वारा की गयीं थीं, जिस पर शासन और राजभवन ने मामले को संज्ञान में लेते हुए जांच के अलग-अलग आदेश दिए हैं। जिसको लेकर अब यह अल्पसंख्यक संस्था, शासन और राजभवन के उच्च पदस्थ अधिकारियों के सीधे रडार पर आ गयी है।
विभिन्न महाविद्यालयों और शिक्षा क्षेत्र में यह चर्चा तेजी से हो रही है कि शिबली कालेज में लगे भ्रष्टाचार के आरोप यदि सही निकले तो सभी भर्तियों का अनुमोदन न केवल फंस जाएगा बल्कि नियुक्तियां भी फंस जाएगी, जिसके आसार अब कुछ ज्यादा ही लग रहें हैं।
कारण, उच्च स्तरीय आदेशों से इस प्रकरण की जांच कई स्तरों से शुरू हो गई हैं। इसी प्रकरण में जिले के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने आर टी आई के माध्यम से इस भ्रष्टाचार के आरोपों पर जानकारी मांगी है
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