आजमगढ़। माता सावित्री बाई फूले शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान के तत्वावधान में संविधान दिवस शनिवार को नगर के अम्बेडकर पार्क में मनाया गया। कार्यक्रम की शुरूआत मुख्य अतिथि संघमित्रा गौतम, पूर्व सांसद डा बलिराम, डा राकेश कुमार बौद्ध आदि द्वारा डा भीमराव अम्बेडकर के आदम कद प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए उन्हें नमन किया गया। इसके बाद वन्दना बौद्ध के नेतृत्व में पंच शील के साड़ी में तथागत बुद्ध की वन्दना स्तुति की गई। संचालन बिन्दु गौतम ने किया।
संविधान की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए पूर्व सांसद डा.बलिराम द्वारा संविधान निर्माण में बाबा साहब के मुख्य भूमिका का विस्तार से उल्लेख करते हुए कहाकि भारत में मानव के मूल्यों को स्थापित करना है तो भारतीय संविधान को विद्यालयों में पढ़ाया जाना अनिवार्य किया जाना चाहिए। तभी देश का बच्चा-बच्चा देश के संविधान के बारे में समझ सकेगा।
मुख्य अतिथि संघमित्रा गौतम ने कहाकि संविधान के प्रति जागरूक होकर ही हम संविधान के महत्व को समझ सकते है। आज का दिन भारतीय इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण है। 26 नवंबर की ऐतिहासिक तारीख को सन 1949 में भारत की संविधान समिति की तरफ से भारत के संविधान को स्वीकार किया गया था। लेकिन इसे 26 जनवरी 1950 को प्रभावी रूप से लागू किया जा सका। भारतीय नागरिक होने के नाते आपको समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, संस्कृति एवं शिक्षा से संबंधित अधिकार मिले हुए है। यदि आप के किसी भी अधिकार का हनन होता है, तो आपको संवैधानिक उपचारों का भी अधिकार प्राप्त है।
वहीं डा राकेश कुमार बौद्ध ने कहाकि भारतीय संविधान ही है जो भारत में जाति धर्म के लोगों के बीच समता, स्वंतत्रता, न्यायबंधुता स्थापित कर सकता है। पूनम बाला ने कहाकि भारतीय संविधान में प्रदत्त महिला अधिकारों को लागू करके ही वास्तविक रूप से महिलाओं का उत्थान किया जा सकता है। संविधान शिल्पी ने जिस भारत की संकल्पना की थी उसके लिए संविधान को पूरी तरह आमजनता के लिए लागू करना आवश्यक है।
आंगतुकों के प्रति आभार प्रकट करते हुए कार्यक्रम आयोजक बिन्दु गौतम ने सभी को प्रथम भारतीय संविधान की प्रस्तावना की शपथ दिलाई और इसे आत्मसात करने का संकल्प दिलाया।
इस अवसर पर विनोद महायान, डा राकेश बौद्ध, विनोद कुमार, रंजन फर्निचर, सुनीता बौद्ध, शिवमूरत बौद्ध, विरेन्द्र बौद्ध, रूद्रप्रताप बौद्ध, वंदना बौद्ध सहित आदि मौजूद रहे।
भवदीय