प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी श्री अयोध्या धाम से बक्सर तक रघुभूमि से तपोभूमि तक यात्रा 22 जून 2024 दिन शनिवार ज्येष्ठ की पूर्णमासी (माता सरयू के अवतरण दिवस) पर लोक दायित्व द्वारा प्रारंभ हो रही है। यह यात्रा उस मार्ग से की जाती है जिस मार्ग से प्रभु राम और भैया लक्ष्मण ब्रह्मर्षि विश्वामित्र के साथ यज्ञ की रक्षा करने बक्सर गए हैं। यात्रा 22 जून को अयोध्या धाम से चलकर भैरव धाम आजमगढ़ पहुंचेगी, जहां सरयू माता के अवतरण दिवस पर भव्य आरती होगी। रात्रि में जमीलपुर कुटी में यात्रा का विश्राम होगा। 23 जून को यात्रा यहां से प्रारंभ होकर मूल (छोटी) सरयू नदी के तट प्रांत से होते हुए बिलरियागंज, मालटारी जीयनपुर, सालोना ताल होते हुए दिन में 12:00 तक 12 बारह दुअरिया मंदिर नौसेमर पहुंचेगी। वहां से रामघाट, गायघाट, सिधागर घाट होते हुए लखनेश्वर डीह, आमघाट नगहर( बलिया, जहां से राम जी ने छोटी सरयू को पार किया है, आज भी वह घाट चलित अवस्था में है) होते हुए फेफना के रास्ते कारो धाम (जहां भगवान शिव ने कामदेव को भस्म किया था) बलिया पहुंचेगी। यहां यात्रा का रात्रि विश्राम होगा।
24 जून को कारो धाम से सुजायत (सुबाहु का टीला) मरची ( मारीच का गांव) भरौली (जहां राम जी को पहुंचने पर भोर हुई थी), उजियार घाट (जहां राम जी को पहली बार गंगा जी का दर्शन हुआ था) पहुंच कर गंगा जी का पूजन अर्चन होगा । वहां से यात्रा बक्सर में प्रवेश करेगी। रामरेखा घाट (जहां प्रभु राम ने ताड़का वध के उपरांत शिव जी की स्थापना कर पूजा किया था) सिद्धाश्रम (विश्वामित्र का यज्ञ स्थल) वामन अवतार मंदिर, श्री राम चबूतरा आदि दर्जन भर स्थलों पर कीर्तन करते हुए दर्शन पूजन आदि करके यात्रा बसांव मठ में दोपहर का प्रसाद पाकर (यहां राम जी ने कड़ी चावल का भोग लगाया था) यात्रा संपन्न होगी ।
यात्रा का उद्देश्य प्रभु राम के आगमन स्थलों को जागृत करना एवं संरक्षित करना है। साथ ही माता मूल (छोटी) सरयू को सदानिरा तथा पानीदार बनाए रखने के हेतु जागरण करना है। यात्रा में लगभग 20 गाड़ियां तथा ब्रह्मर्षि विश्वामित्र एवं श्री राम लक्ष्मण सहित एक रथ होगा।