आजमगढ़। लोक मनीषा परिषद की ओर से शिक्षक दिवस के मौके पर एक संगोष्ठी का आयोजन पंडित अमरनाथ तिवारी के राहुल नगर मड़या स्थित आवास सम्पन्न हुई। जिसकी अध्यक्ष अमरनाथ तिवारी व संचालन निशिथ रंजन तिवारी ने किया। इस अवसर पर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन कृत्यों पर साहित्यिक चर्चा हुई। चित्र पर माल्यार्पण के बाद दीप प्रज्जवलित कर संगोष्ठी का शुभारम्भ हुआ।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए डा कन्हैया सिंह ने कहा कि डा राधाकृष्णन संस्कृत और आग्लभाषा के प्रकांड विज्ञान होकर विद्यालय एवं महाविद्यालय में निष्ठा तथा लगन के साथ आदर्श शिक्षक रहे। वह देश-विदेश के अनेक विश्व विद्यालयों में अपने ज्ञान का प्रकाश किये। भारतीय दर्शन शास्त्रों पर उनकी लिखित पुस्तकें विश्व क्षितिज पर कीर्ति स्थापित की हैै।
पंडित जनमेजय पाठक ने कहा कि डा राधाकृष्णन एक अनुकरणीय शिक्षार्थी एवं श्रेष्ठ शिक्षक बनकर भावी सन्नततियों को सचेत किये कि जन्म-जन्मांतर के पूर्ण उदय होने पर मनुष्य होना और उनमे भी शिक्षक बनने का सौभाग्य प्राप्त करना दुलर्भ होता है। देश समाज के लिए इसकी महिमा को अपने कर्म, निष्ठा, आचरण व व्यवहार का तेवर देकर सुयोग्य सफल विद्यार्थी सौपना श्रेयस्कर होगा।
आचार्य पंडित सहदेव पांडेय ने कहा कि शिक्षक का कार्य बड़ा ही उत्तरदायी पुण्य है। वह अपने ज्ञान, संस्कार जनिक गुणों से विद्यार्थियो को प्रभावित कर देश का नागरिक बनाना है। सभी शिक्षक प्रणम्य है।
अंांगतुकों का आभार जताते हुए अध्यक्षीय संबोधन में पं अमरनाथ तिवारी ने कहाकि राष्ट्रपति होने पर वह अपने जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाना उचित बताया।
इस अवसर पर विजयधारी पांडेय, रामचरित्र सिंह, गोपाल कृष्ण राय आदि सुधिजन मौजूद रहे।
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