लखनऊ विश्वविद्यालय ने शहर के महाविद्यालयों को 10 % अतिरिक्त सीटों पर दाखिले की अनुमति दे दी है। यह सीट कमजोर आय वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित की गई हैं। कुलसचिव ने सोमवार को यह पत्र जारी किया।
आपके अपने प्रिय अखबार ‘हिन्दुस्तान’ ने सोमवार के अंक में ‘लविवि ने अपनी 10% सीटें बढ़ाईं, कॉलेजों पर चुप्पी’ शीर्षक के साथ गरीब सवर्णों के आरक्षण के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था।
कुलसचिव ने अपने आदेश में साफ किया है कि प्रत्येक पाठ्यक्रम में (प्रोफेशनल कोर्सेज को छोड़कर) पूर्व निर्धारित सीटों के सापेक्ष 10 प्रतिशत अतिरिक्त जोड़ी जाएंगे। शासन द्वारा निर्धारित प्रमाण पत्रों के आधार पर ही छात्रों को इस आरक्षण का लाभ दिया जा सकेगा। यह निर्देश अल्पसंख्यक संस्थानों को छोड़कर सभी सरकारी, एडेड और निजी कॉलेजों पर लागू है।
10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ पाने के लिए सवर्ण छात्रों को दो प्रपत्र प्रस्तुत करने होंगे। इसमें पहला आय प्रमाण पत्र होगा। जोकि, तहसीलदार और उसके ऊपर के अधिकारी परगना मजिस्ट्रेट/सिटी मजिस्ट्रेट/अतिरिक्त जिलाधिकारी/जिलाधिकारी के स्तर पर जारी किया जा जाएगा। लाभार्थी के द्वारा एक स्वंय घोषणा पत्र भी देना होगा।
5200 सीट गरीब सवर्णों के लिए आरक्षित
हरी झंडी से शहर के कॉलेजों में करीब 5,200 यूजी पीजी की सीट गरीब सवर्णों के लिए आरक्षित होने का रास्ता साफ हो गया है। लविवि से सहयुक्त कॉलेजों की संख्या करीब 174 है। लविवि के प्रवेश समन्वयक प्रो. अनिल मिश्र ने बताया कि पिछले सत्र में कॉलेजों में स्नातक में करीब 35 हजार और परास्नातक में 16 से 17 हजार दाखिले लिए गए थे। कुल करीब 51 हजार दाखिले हुए। चूंकि, इस बार कुछ और कॉलेज शुरू हुए हैं। ऐसे में करीब 5200 सीट आरक्षित होने की उम्मीद है।