सरकार के पौधरोपण को धता बता रहा सुविधा शुल्क
फतेहपुर। एक ओर प्रदेश सरकार पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए प्रत्येक वर्ष करोड़ों पौधरोपण अभियान चलाकर आमजन को जहां हरियाली का संदेश देती है वहीं प्रत्येक नागरिक से एक-एक पौध लगाने का भी आहवान करती है। इसके उलट पुलिस और वन विभाग की मिलीभगत से पौधरोपण से कहीं अधिक प्रतिवर्ष हरे पेड़ों की कटान हो जाती है। जिसका जीता जागता उदाहरण असोथर थाना क्षेत्र का बेरूई व जमलामऊ गांव है। जहां पर आधा सैकड़ा से अधिक पेड़ कटवाकर लकड़ी को लोड करवाकर बिक्री के लिए भेजा जा चुका है। जबकि चार पेड़ कटे हुए अभी भी बेरूई गांव में पड़े हुए हैं। क्षेत्रीय वन दरोगा ने बताया कि शिकायत के आधार पर कटी हुयी लकड़ी को उठाने से रोक दिया गया है। ठेकेदार पर जुर्माना किया जायेगा।
बताते चलें कि वन विभाग व इलाकाई पुलिस की मिलीभगत से पूरे जिले में हरे पेड़ों की कटाई पूरे साल चलती रहती है। जो पौधरोपण अभियान को सिर्फ मुंह ही नहीं चिढ़ाती बल्कि पर्यावरण को भी दूषित करके नाना प्रकार की बीमारियों को जन्म देती है। सूत्रों का कहना है कि असोथर थाना क्षेत्र के बेरूई गांव में लगभग तीन दर्जन पेड़ों की बिना विभागीय परमीशन के कटाई कर ली गयी है। जिसमें लगभग 20-25 पेड़ों का कटा हुआ माल लोड होकर बिक्री के लिए जा चुका है। इन कटे हुए पेड़ों के ठूंठ अवशेष के रूप में प्रमाण हैं। इसी गांव में दो नीम व दो चिल्वर के पेड़ भी ठेकेदार ने कटवा लिये थे। शिकायत मिलने पर क्षेत्रीय वन दरोगा अवधेश ने कटे हुए माल को रूकवा दिया है। दरोगा का कहना है कि ठेकेदार को वाहन नही मिला था जिसके चलते माल पड़ा रह गया। उन्होने बताया कि ठेकेदार पर विभाग जुर्माना ठोकेगा। इसी प्रकार जमलामऊ गांव में भी पेड़ों की कटान बड़े पैमाने पर की जा रही है। विभागीय व पुलिस की मिलीभगत से हरियाली के नारे को चपत लगाई जा रही है। सूत्रों का कहना है कि हरे पेड़ों की अवैध रूप से कटान में दोनों विभाग लम्बा सुविधा शुल्क वसूल कर खामोश हो जाते हैं।
पुलिस व वन विभाग की मिलीभगत से जमकर हो रही हरे पेड़ों की कटाई
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