* पहली नजर का प्यार का पहला प्यार *
प्रेम कहानी – दीक्षा और चन्दन को एक दूसरे से प्यार हो जाता है दोनों बहते पानी की तरह आगे निकल जाते है .चन्दन ने जल्दी ही शादी करने के इरादे से एमए के ऐसे इंस्टीट्यूट में एडमिशन ले लिया जो नौकरी दिलाने का वादा करता है . चन्दन हड़बड़ी में इसलिए था क्योंकि दीक्षा के घरवाले उसकी शादी के लिए लड़का तलाश रहे थे. किस्मत और मेहनत रंग ला रही थी. एमए कॉलेज में दाखिला मिलते ही दोनों के चेहरे खिल उठे. दोनों को लगने लगा था कि अब सब कुछ एकदम ठीक हो जाएगा, लेकिन कोर्स में दाखिला लेने के एक महीने के भीतर ही दीक्षा की शादी तय हो गई.
दीक्षा बहुत घबराई हुई थी. दीक्षा ने चन्दन को बताया चन्दन घबराने लगा था और कहा चलो भागकर शादी कर लें. लेकिन नौकरी नहीं थी और इसी वजह से दोनों के बढ़ते कदम ठहर जाते है .चन्दन बार-बार दीक्षा और खुद को समझाता रहा कि ‘जो भी होगा अच्छा होगा’. चन्दन ने दीक्षा से कहा कि हम अपनी शादी की बात अपने-अपने घरों में करें लेकिन हर बार की कोशिश जाति, उम्र, हैसियत, बेरोजगारी जैसी वजहों की भेंट चढ़ जाती. वक्त बहुत तेजी से हाथ से निकल रहा था. चन्दन ने एमए की पढ़ाई और कोर्स छोड़कर कॉल सेंटर में नौकरी करने की सोची. लेकिन प्यार के रास्ते पर पहले चल चुके कुछ अनुभवी लोगों ने इससे होने वाले नुकसान को इतना बड़ा करके बताया कि दोनों इस रास्ते में भी आगे नहीं बढ़ सके.
दोनों ने प्यार तो कर लिया था लेकिन उसके आगे की बातें नहीं सोची थी. यही वजह थी कि प्यार के सफर पर निकल जाने के बाद समय ऐसे बीत रहा था. जैसे वह काले तेज घोड़े पर सवार हो. रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था. रुकता भी तो कैसे उसका काम ही है लगातार चलना. शादी की तारीख नजदीक आ रही थी और बेबसी, बेचैनी की अजीब-सी भावनाओं ने मन में घर बना लिया था. ऐसे हालात में दोस्त सबसे अच्छे और अनोखे विकल्प देते हैं. चन्दन और दीक्षा को भी कई सुझाव मिले.दीक्षा की शादी का दिन आते-आते हर बड़े से छोटे मंदिर तक नंगे पांव जाने और 101 रुपये का प्रसाद चढ़ाने का वादा भगवान से कर चुका था, पर महंगाई के इस दौर में 101 रुपये से होता क्या है. शायद भगवान को भी यह मंजूर नहीं था.
निराश होकर चन्दन ने नास्तिकता और वास्तविकता की ओर कदम बढ़ा दिए. शादी तय होने से लेकर शादी के दिन तक लड़के का फोन नंबर और पता फेसबुक से निकालकर कुछ जुगाड़ भिड़ाने की कोशिश भी नाकाम रही . उसकी शादी वाला पूरा दिन चन्दन ने मंदिर में ही बिताया. कुछ उम्मीदें शायद अभी बाकी थीं, हालांकि सूरज ढलने के साथ उनमें भी तेजी से कमी आ रही थी. इसलिए शाम होते ही आखिरी सलाम करने चन्दन मैरिज हॉल पहुंचा .
दुल्हन के तैयार होने वाले कमरे में किसी तरह पहुंचकर उसे बोल दिया कि मैं स्टेज पर आऊंगा तू मुझे गले लगा लियो, मेरी थोड़ी पिटाई तो पड़ेगी लेकिन सब ठीक हो जाएगा. शादी कैंसिल हो जाएगी. इतना कहकर चन्दन कमरे से बाहर निकल गया. चन्दन का जोश दोबारा जाग चुका था. अब यह चन्दन का ब्रह्मास्त्र था. जयमाल होते ही वो स्टेज पर पहुंच जाता है. उसके मन में ब्रह्मास्त्र के चलने के बाद पिटने का डर तो था पर साथ में सफलता की उम्मीद भी. स्टेज पर उसके करीब पहुंचा तो उम्मीद थी कि वह गले लगा लेगी, चन्दन ने चुपके से इशारा भी किया लेकिन उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था. पर कुछ मिनट रुकने के बाद फोटोग्राफर ने चन्दन से कहा, ‘भैया अब उतर भी जाओ.’
दीक्षा चन्दन को स्टेज से निचे उतरता देख रोने लगती है.उसके पिता को समझ में नही आ रहा था . की वो क्यों रो रही है.दीक्षा चक्कर आने की वजह से गिर जाती है. चन्दन घबराने लगता है .उसके पिता को समझ में नही आता की वह क्या करे.दूल्हा शादी से इंकार कर देता है और बारात लेकर वापस चला है.उसके पिता को समझ में नही आ रहा था की अब वह क्या करे.वह गिर जाते हैं. सभी लोग जाने लगते है.चन्दन उसके पिता को उठता है उसके पिता के आँखों में आशु भर जाता है.
उसके पिता चन्दन से पूछते है की तुम मेरी बेटी से शादी करोगे और चन्दन की शादी दीक्षा हो जाती है