खबर आजमगढ़ जिले के निजामाबाद थाना क्षेत्र से है , जहाँ पर दबंगई के बल पर सत्ताधारी दल के एमएलसी के शह पर ज़मीन पर कब्ज़ा करने के आरोप लगे हैं ! बताते चलें कि दैनिक जागरण का स्थानीय पत्रकार और भाजपा एमएलसी विजय बहादुर पाठक का अपने आप को रिश्तेदार बताकर एक दबंग पत्रकार निजामाबाद में एक गरीब की बैनामे की चाहरदिवारी शुदा जमीन को कब्जा कर रहा है , ऐसे आरोप लगे हैं और वहां पर पुलिस प्रशासन लाचार नजर आ रहा है।
बता दें कि आजमगढ़ जिले के निजामाबाद थाना क्षेत्र के टाउन एरिया में अबु हमजा नामक व्यक्ति की बैनामे की जमीन है। जिसके चारो ओर से चाहरदिवारी बनी है। इसी मोहल्ले के निवासी और दैनिक जागरण के आंचलिक पत्रकार राकेश पाठक ने गुंडागर्दी करते हुए अबु हमजा की चाहरदिवारी में पीछे से तोड़कर दरवाजा खोल दिया और इस चाहरदिवारी में मुख्य सड़क से प्रवेश करने वाले मेन दरवाजे को एक रात बंद कर दिया, इस तरह के गंभीर आरोप लगे हैं ! पीड़ित ने सुबह जाकर इसका जब विरोध किया तो उल्टे उसे गोली मारने धमकी दी गयी और डरा धमका कर भगा दिया गया, ऐसा हमजा का कहना है , तब से हमजा थाना, तहसील और पुलिस प्रशासन का चक्कर काट रहा है। किसी ने भी उसकी पीड़ा नहीं समझी और नहीं उसकी मदद की।
इसी क्रम में बीते दिन 16 अगस्त को जब अबु हमजा अपने चाहरदिवारी पर गया, तो देखा उसके भीतर राकेश पाठक अवैध निर्माण कर रहे हैं , उसके चाहरदिवारी में पीलर बन रहा है , और पूछने पर उसे मारा पीटा गया और उसकी गाड़ी छीनने की कोशिश की गयी , यही नहीं उल्टे पुलिस बुलाकर उसे गिरफ्तार भी करा दिया गया, इस तरह के गंभीर आरोप पीड़ित हमजा की तरफ से लगाए गए हैं ! इसे कहते हैं जबरा मारे और रोने भी ना दे ! तो क्या दैनिक जागरण के पत्रकार होने के नाम पर दूसरों की जमीन कब्जाने वाले राकेश पाठक दैनिक जागरण और विजय बहादुर पाठक का नाम बेच रहे हैं ??
इस घटना क्रम को गंभीरता से लेते हुए आज न्यायप्रिय जिलाधिकारी ने आदेश दिया कि एसडीएम और सीओ निजामाबाद की संयुक्त टीम इस प्रकरण की जांच करने सुबह 10:30बजे जाएंगे। आप भी सोचे कि कैसे एक व्यक्ति पत्रकारिता को बदनाम कर रहा है। इसे अधिक से अधिक शेयर करे ताकि दैनिक जागरण के संपादक और प्रबंधन के पास उनके आंचलिक पत्रकार की करतूत पहुँच सके। यही नहीं इस दबंग पत्रकार ने स्थानीय और पत्रकारों को भी अपने इस मुहिम में शामिल करने का प्रयास किया है ! पत्रकारिता बेजुबानों की जुबान है। किसी की जुबान बंद करने का उपक्रम नहीं है। दुर्भाग्य से आज यही हो रहा है। आप आवाज उठाए नहीं तो पत्रकार और अपराधी में अंतर मिट जाएगा।
इसे कहते हैं जबरा मारे और रोने भी ना दे ! आज़मगढ़ में ज़मीन कब्ज़ा करने के लालच की सनसनीखेज़ दास्तान …
Total Page Visits: - Today Page Visits: