बिंद्रा बाजार आजमगढ़।मोहम्मदपुर क्षेत्र के रानीपुर रजमों गांव में धनतेरस के शुभ अवसर पर श्री रामलीला समिति के तत्वावधान में पारंपरिक नौ दिवसीय रामलीला का शुभारंभ हुआ। लीला मंचन से पूर्व समिति द्वारा मौजूदा वर्ष में स्वर्गवासी हुए ग्रामवासियों के आत्मा की शांति हेतु 2 मिनट का मौन रखा गया। लीला की शुरुआत भगवान शंकर और माता पार्वती के संवाद से हुई जिसमें भगवान शंकर मां पार्वती को बताते हैं कि क्यों मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का मानव रूप में जन्म हुआ। उसी क्रम में नारद मोह प्रसंग का बहुत ही सुंदर मंचन किया गया। नारद मुनि की तपस्या को भंग करने हेतु देवराज इंद्र द्वारा अपने सखा कामदेव को हिमालय पर्वत पर भेजा गया कामदेव अपने तमाम यत्नों के बावजूद नारद मुनि की तपस्या को भंग नहीं कर सके और इस कृत्य के लिए नारद मुनि से क्षमा मांगी। कामदेव के शरणागत होने के पश्चात नारद मुनि को अहंकार हो जाता है और इस वृतांत को वह भगवान ब्रह्मा विष्णु और शंकर जी से अहंकार में बताते हैं। उनके इसी अहंकार को तोड़ने के लिए भगवान विष्णु राजा शीलनिधी के पुत्री के स्वयंवर में शादी करने हेतु नारद जी द्वारा भगवान का रूप मांगने पर उन्होंने अपना श्रीहरि मुख ना देकर एक बंदर का मुख दे देते हैं और भगवान विष्णु स्वयं उस कन्या से विवाह कर लेते हैं जब नारद मुनि अपने साथ हुए छल के बारे में जानते हैं तो वह अत्यंत ही कुपित हो जाते हैं और भगवान विष्णु को श्राप दे देते हैं। बाद में उन्हें जब अपनी गलती का एहसास होता है तब वह भगवान से क्षमा याचना करते हैं। यह भावपूर्ण मंचन देख दर्शक गदगद हो उठे। लीला देखने आए हुए सभी दर्शकों का श्री रामलीला समिति के अध्यक्ष जगदीश लाल श्रीवास्तव ने आभार प्रकट किया। इस अवसर पर क्षेत्र के सैकड़ों लोग व रामलीला समिति के पदाधिकारी तथा सदस्य मौजूद रहे।
आजमगढ़: नारद मुनि ने विष्णु भगवान को दिया श्राप
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